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Kundli Tv- यहां माता की प्रतिमा से निकलता है पसीना

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 17 Sep, 2018 10:02 AM

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वैसे तो पूरे हिमाचल प्रदेश को ही यह सौभाग्य प्राप्त है कि इसके हर गांव या नगर में देवी-देवताओं का वास है परन्तु जिला चम्बा को विशेष रूप से देवभूमि कहा जाता है। यहां अनेक ऐतिहासिक व प्रसिद्ध धर्मस्थल हैं,

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वैसे तो पूरे हिमाचल प्रदेश को ही यह सौभाग्य प्राप्त है कि इसके हर गांव या नगर में देवी-देवताओं का वास है परन्तु जिला चम्बा को विशेष रूप से देवभूमि कहा जाता है। यहां अनेक ऐतिहासिक व प्रसिद्ध धर्मस्थल हैं, जिनमें से एक भलेई का भद्रकाली मंदिर भी है। यह मंदिर बनीखेत से 35 किलोमीटर और चम्बा से लगभग 28 किलोमीटर दूर है।

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कहा जाता है कि लगभग 450 वर्ष पूर्व मां भद्रकाली मातृलोक में प्रकट हुई थी। 1569 ईस्वी में चम्बा रियासत के राजा प्रताप सिंह को मां जगदम्बा ने स्वप्न में बताया कि वह भद्रकाली स्वरूप है और भ्राण नामक गांव में बावड़ी के समीप एक पत्थर पर खड़ी हैं। पत्थर के नीचे धन का भंडार भी है जिसका प्रयोग मंदिर निर्माण, यज्ञ प्रतिष्ठा एवं राजकार्य में ही किया जाए। स्वप्र में यह भी चेतावनी दी गई कि मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित रहेगा।

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कहते हैं कि राजा ने स्वप्न में सुनी हुई बातें सच पाईं और वह माता की प्रतिमा को सोने की पालकी में सजा कर शानो-शौकत से भलेई ले आया। विश्राम के उपरांत जब पालकी को उठाया जाने लगा तो पालकी वहीं स्थिर हो गई। तभी आकाशवाणी हुई ‘‘हे राजन! अब मैं चम्बा नहीं जाऊंगी, मेरा मंदिर यहीं बनवा दिया जाए।’’ 

PunjabKesariराजा प्रताप ने ऐसा ही किया और तब से लेकर आज तक भलेई मंदिर काफी भव्य रूप धारण कर चुका है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान यहां अभूतपूर्व प्रगति हुई है और पार्किंग एरिया के साथ-साथ मंदिर के प्रवेश द्वार के बाहर बने बरामदे में नए शैड डाले गए हैं।
मंदिर में मां भद्रकाली की लगभग 2 फुट ऊंची धातु की प्रतिमा स्थित है और श्रद्धालुओं का विश्वास है कि श्रद्धापूर्वक पूजा-अर्चना करने से मां की प्रतिमा से पसीना निकलता है। अधिकांश श्रद्धालुओं को इस पसीने के दर्शन होते हैं।

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कहते हैं कि लगभग 4 दशक पूर्व एक उपासक महिला दुर्गा देवी को मां ने स्वप्न में दर्शन दिए और कहा कि महिलाएं भी मंदिर में आ सकती हैं, तब से ही महिलाएं भी मां के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त कर रही हैं। 

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उल्लेखनीय है कि एक बार कुछ चोर मां भगवती की मूर्ति को चुरा कर ले गए थे परन्तु मूर्ति इतनी भारी हो गई कि वह चौहड़ा डैम क्षेत्र तक ही जा पाए और पकड़े गए तथा मूर्ति चोरी होने से बच गई।

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