Edited By Jyoti,Updated: 20 Dec, 2020 04:47 PM
आज यानि मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को चंपा षष्ठी का पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा का विधान है।
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आज यानि मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को चंपा षष्ठी का पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा का विधान है। बता दें हिंदू पंचांग के अनुसार यूं तो चंपा षष्ठी का प्रत्येक माह की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। बताया जाता है कि भगवान कार्तिकेय जी को चंपा पुष्प अधिक प्रिय है। मुख्य रूप से ये पर्व दक्षिण भारत में राज्यों में मनाया जाता है। सनातन धर्म के प्रमुख शास्त्रों और ग्रंथों में किए गए वर्णन के अनुसार भगवान कार्तिकेय देवों के देव महादेव और देवी पार्वती के श्रेष्ठ पुत्र हैं।
तो आइए जानते हैं क्या है इस तिथि का महत्व, साथ ही साथ जानते हैं इसकी पूजन विधि आदि-
मान्यताओं के मुताबिक भगवान कार्तिकेय षष्ठी तिथि और मंगल ग्रह के स्वामी हैं। इनका निवास देश की दक्षिण दिशा में माना जाता है। ज्योतिषी बताते हैं कि जिस जातक की कुंडली में मंगल ग्रह की स्थिति कमज़ोर हो या किसी भी तरह से मंगल ग्रग पीड़ित हो। उन्हें अपनी कुंडली में मंगल को मज़बूत करने के लिए तथा ग्रहों का शुभ प्रभाव पाने के लिए इस दिन व्रत करना चाहिए। तथा विधि वत स्कंद भगवान यानि कार्तिकेय की पूजा करनी चाहिए।
इनकी पूजा के शुभ फल से न केवल ग्रहों को शांति मिलती है बल्कि साथ ही साथ जीवन में आने वाली समस्त प्रकार की कठिनाईयां दूर हो जाती हैं। तो वहीं खासतौर पर इस दिन व्रत करने से तथा भगवान कार्तिकेय की पूजा अर्चना करने से संतान प्राप्ति के साथ-साथ, अगर किसी दंपत्ति को संतान की प्राप्ति न हो रही हो तो वो भी प्राप्त होती है।
स्कंद षष्ठी व्रत विधि-
सबसे पहले घर की अच्छे से साफ-सफाई करें।
अगर इस दिन व्रत रखना हो तो सबसे पहले स्नान-ध्यान कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
इसके बाद पूजा स्थल में भगवान शिव, देवी पार्वती के साथ-साथ भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा स्थापित करें।
फिर पूजा जल, मौसमी फल, फूल, मेवा, कलावा, दीपक, अक्षत, हल्दी, चंदन, दूध, गाय का घी, इत्र आदि करने के बाद अंत में आरती करें।
संभव हो तो इस दिन शाम को भजन-कीर्तन ज़रूर करें, और सारा दिन फलाहार करें।
इसके अलावा इस मंत्र का जाप ज़रूर करें-
देव सेनापते स्कंद कार्तिकेय भवोद्भव।
कुमार गुह गांगेय शक्तिहस्त नमोस्तु ते॥