Edited By Niyati Bhandari,Updated: 20 Aug, 2023 08:40 AM
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चाणक्य नीति के सिद्धांतों को कई लोगों ने अपने जीवन में शामिल किया है और वे हमेशा सफल रहे हैं। मनुष्य के लिए सुख का मतलब भौतिक संसाधन नहीं है। चाणक्य
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Chanakya Niti: चाणक्य नीति के सिद्धांतों को कई लोगों ने अपने जीवन में शामिल किया है और वे हमेशा सफल रहे हैं। मनुष्य के लिए सुख का मतलब भौतिक संसाधन नहीं है। चाणक्य के अनुसार सुख का असली मतलब आत्म संतुष्टि और आत्मा से है। वो कहते हैं कि मनुष्य को सुखी होने के लिए सिर्फ अपने आचरण में सुधार करना होता है। अपने नीति ग्रंथ में चाणक्य ने सुख की प्राप्ति के लिए कई बातों का वर्णन किया है।
ऐसा हो उचित व्यवहार
आत्मा हि व्यवहारस्य साक्षी।
भावार्थ : जिस कार्य को करने में आपकी आत्मा साथ दे, वही उचित व्यवहार है इसलिए आत्मा को व्यवहार की साक्षी कहा गया है। जिस प्रकार मनुष्य मेहनत कर अपने शरीर में बल अर्जित कर ताकतवार होता है। ठीक वैसे ही जीव "तप" कर आत्मा को ताकतवार बनाता है। जैसे शरीर से अलग बल नहीं होता। ठीक वैसे ही जीव से अलग आत्मा नहीं होती है। इसलिए जीव और आत्मा मिलकर जीवात्मा होती है।
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आत्मा सभी की साक्षी है
सर्वसाक्षीह्यात्म।
भावार्थ : जो भी कार्य इस जीवन में मनुष्य करता है, उसकी आत्मा उसकी साक्षी होती है। वह सभी अच्छे-बुरे कर्मों से तटस्थ रहकर देखती रहती है। जब भी व्यक्ति कोई गलत काम करता है तो धर्मदेव उसकी सूचना देते हैं और प्राणी को उसका दण्ड भी जरूर मिलता है।
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