Edited By Prachi Sharma,Updated: 14 Dec, 2023 01:37 PM
आचार्य चाणक्य ने जीवन में आगे बढ़ने के लिए बहुत से सिद्धांत बताए हैं, जिनकी चर्चा आज भी बरकरार है। सामान्य जीवन के साथ-साथ चाणक्य
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Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने जीवन में आगे बढ़ने के लिए बहुत से सिद्धांत बताए हैं, जिनकी चर्चा आज भी बरकरार है। सामान्य जीवन के साथ-साथ चाणक्य ने राज्य और राजा से जुड़ी बहुत सी बातें बताई हैं। उनके कई श्लोकों में इस बात का जिक्र है कि एक बेहतर राज्य के लिए कैसे राजा का होना आवश्यक हैं। उन्हीं में से हैं ये-
वृद्धजन की सेवा ही ज्ञान का आधार
विनयस्य मूलं वृद्धोपसेवा।
भावार्थ: जो राजा अपने पूर्वजों, वृद्धों और ज्ञानियों का सम्मान करने तथा उनके दुख-सुख में उनकी सहायता करने का संकल्प कर लेता है, उसके स्वभाव व व्यवहार में विनम्रता सहज ही उत्पन्न हो जाती है। बिना विनम्रता के वह उनकी सेवा करने के लिए प्रवृत्त हो ही नहीं सकता। प्रबुद्ध और ज्ञानी पुरुषों से विनम्र होकर ही ज्ञान प्राप्त करना संभव है और ऐसा ज्ञानवान राजा राज्य में विज्ञजन और कलाकारों का सम्मान करना भी जान लेता है।
प्रजा का ‘सुखी’ होना जरूरी
प्रकृति सम्पदा ह्यनायकमपि राज्यं नीयते।
भावार्थ : जिस राज्य की प्रजा सुखी होगी, सम्पन्न होगी, वहां यदि किसी समय कुछ काल के लिए राजा अथवा नेता न भी रहे तो राजकाज में किसी तरह की बाधा उत्पन्न नहीं होती। कष्टविहीन राजकर्मचारी और सुखी प्रजा उस आपातकाल में राज्य पर आंच नहीं आने देते। चाणक्य कहते हैं कि जिस राज्य के व्यक्ति सुव्यवस्थित ढंग से चलते हैं राजा न होने पर भी उसका राज्य बहुत खुशहाल रहता है।