Edited By Prachi Sharma,Updated: 17 Dec, 2023 07:53 AM
आचार्य चाणक्य की बातें आज भी उतनी ही कारगार हैं जितनी पहले थी। जो व्यक्ति इन नीतियों के अनुसार जीवन में चलता है उसे कभी
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Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य की बातें आज भी उतनी ही कारगार हैं जितनी पहले थी। जो व्यक्ति इन नीतियों के अनुसार जीवन में चलता है उसे कभी भी असफलता का सामना नहीं करना पड़ता। ऐसे में आचार्य चाणक्य ने अपने नीतिशास्त्र में बताया है कि ज्ञान प्राप्त करने के लिए वृद्ध सेवा अर्थात ज्ञानियों की सेवा अवश्य करनी चाहिए। जो व्यक्ति ऐसा करता है उसे जीवन का उचित ज्ञान प्राप्त होता है। इसके अलावा चाणक्य कहते हैं एक राजा को राज्य चलाते समय हर फैसला बहुत ही ध्यान से करना चाहिए। ऐसा करने से राजा और प्रजा हमेशा खुश रहती है।
ज्ञान का सही उपयोग जरूरी
विज्ञानेनात्मानं स पादयेत्।
भावार्थ : ज्ञान से राजा अपनी आत्मा का परिष्कार करता है, संपादन करता है। केवल ज्ञान प्राप्त कर लेना ही सब कुछ नहीं है। राजा को चाहिए कि उत्तम ज्ञान प्राप्त करके वह अपनी आत्मा अर्थात अपने स्वभाव, विचार, व्यवहार और आचरण से प्रजा को प्रसन्न करे। राज्य का संचालन आंखें बंद करके नहीं करना चाहिए। राजा को अपनी आंखें सब दिशाओं में खुली रखनी चाहिए।
ज्ञानियों की सेवा से ज्ञान प्राप्ति
वृद्धसेवया विज्ञानम्।
भावार्थ: वृद्ध सेवा अर्थात ज्ञानियों की सेवा से ही ज्ञान प्राप्त होता है। जो राजा अपने राज्य में ज्ञानियों की सेवा करता है, उसे राज्य संचालन एवं न्याय करते समय उचित और अनुचित का ज्ञान प्राप्त हो जाता है। उसकी विवेक बुद्धि प्रबल हो जाती है।