Edited By Prachi Sharma,Updated: 21 Dec, 2023 01:17 PM
भावार्थ: स्त्री-मोह बड़े से बड़े तपस्वी के तप को भी खंडित कर देता है। महाऋषि विश्वामित्र मेनका अप्सरा के मोह में पड़कर अपनी
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
दुर्लभ: स्त्रीबंधनान्मोक्ष:।
भावार्थ: स्त्री-मोह बड़े से बड़े तपस्वी के तप को भी खंडित कर देता है। महाऋषि विश्वामित्र मेनका अप्सरा के मोह में पड़कर अपनी तपस्या खंडित कर बैठे थे। स्त्री के मोह से छूट पाना अत्यंत दुष्कर है।
तीनों वेद जानने वाला ही यज्ञ के फल का ज्ञाता
यक्षफलज्ञास्त्रिवेदविद:।
भावार्थ: तीन वेदों ऋग, यजु व साम को जानने वाला ही यज्ञ के फल को जानता है। यज्ञ के द्वारा ही व्यक्ति अपना तादात्म्य परमात्मा के साथ कर पाता है। यज्ञ के द्वारा ही उसे अपने वास्तविक स्वरूप का पता चलता है। तीनों वेदों को जानने वाला ही यज्ञ के फल को प्राप्त कर सकता है।
पेट भरने वाले की निंदा न करें
यमनुजीवेत्तं नापवदेत्।
भावार्थ : जिसके द्वारा जीवनयापन होता है उसकी निंदा न करें।
संसार में समस्त कार्य एक-दूसरे के सहयोग से चलते हैं। अत: जो व्यक्ति आपका पेट भर रहा हो, उसकी निंदा कभी नहीं करनी चाहिए।
इंद्रियों को वश में करना ही तप
तप: सार इन्द्रियनिग्रह:।
भावार्थ : जो व्यक्ति भोग-विलास के जीवन के मध्य रह कर भी अपनी इंद्रियों को वश में कर लेता है, वही वास्तव में तपस्या का जीवन जीता है।