Edited By Prachi Sharma,Updated: 11 Aug, 2024 07:28 AM
समाज में शराबी व्यक्ति का भरोसा नहीं किया जा सकता। उसे कभी कोई कार्य नहीं सौंपना चाहिए। वह उसे कभी पूरा नहीं
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
अर्थेषु पात व्यसनी न गम्यते।
समाज में शराबी व्यक्ति का भरोसा नहीं किया जा सकता। उसे कभी कोई कार्य नहीं सौंपना चाहिए। वह उसे कभी पूरा नहीं कर सकता।
‘कामी’ पुरुष कोई कार्य नहीं कर सकता
न कामासक्तस्य कार्यानुष्ठानम्।
समाज में कामी अर्थात चरित्रहीन व्यक्ति को कोई भी सम्मानित दृष्टि से नहीं देखता। ऐसे व्यक्ति का कोई कार्य आसानी से पूरा नहीं हो सकता।
किसी की ‘नकल’ न करें
न देवचरितं चरेत्।
देवता के चरित्र के अनुकरण से यही तात्पर्य है कि जब तक व्यक्ति अपने आपको अमुक देवता अथवा राजा के अनुरूप न बना ले, तब तक उसका अनुकरण नहीं करना चाहिए।
इस प्रकार के कपड़े पहन कर वह नाटक मंडली का कोई नट ही लग सकता है।
विरोधियों को आपस में लड़वा कर खत्म करना
द्वयोरपीष्र्यतो : द्वैधीभावं कुर्वीत।
राजा को चाहिए कि राज्य का विरोध करने वाले संगठनों में परस्पर विरोध उत्पन्न करके उन्हें आपस में ही लड़ा दे। इससे वे आपस में लड़-लड़कर स्वयं ही खत्म हो जाएंगे।