Edited By Prachi Sharma,Updated: 04 Dec, 2024 10:15 AM
चाणक्य, जिन्हें कौटिल्य या विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है। भारतीय राजनीति और शासन के एक महान विशेषज्ञ थे। उनकी कृतियां विशेष रूप से अर्थशास्त्र और नितिशास्त्र
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Chanakya Niti: चाणक्य, जिन्हें कौटिल्य या विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है। भारतीय राजनीति और शासन के एक महान विशेषज्ञ थे। उनकी कृतियां विशेष रूप से अर्थशास्त्र और नितिशास्त्र, आज भी शासक वर्ग, प्रशासनिक अधिकारियों और नीति-निर्माताओं के लिए महत्वपूर्ण मार्गदर्शक मानी जाती हैं। चाणक्य ने शासन, प्रशासन, समाज और जीवन के विभिन्न पहलुओं पर गहरी सोच और विचार प्रस्तुत किए हैं। चाणक्य ने जीवन के हर पहलु को समझा और उसे अपने नीति-ग्रंथों में समाहित किया। एक विशेष विचार जो चाणक्य की नीति में प्रमुख रूप से आता है, वह है भाग्य पुरुषार्थी के पीछे चलता है। इस सिद्धांत का मतलब यह है कि भाग्य केवल उन्हीं लोगों का साथ देता है जो अपनी मेहनत और पुरुषार्थ में विश्वास रखते हैं और निरंतर प्रयत्न करते रहते हैं। भाग्य किसी भी व्यक्ति का साथ नहीं देता यदि वह आलसी और नकारात्मक होता है। चाणक्य का मानना था कि व्यक्ति का कार्य और पुरुषार्थ ही उसे उसके लक्ष्य की ओर ले जाता है और यदि व्यक्ति में दृढ़ संकल्प और मेहनत करने की क्षमता है।
भाग्य ‘पुरुषार्थी’ के पीछे चलता है
पुरुषकारमनुवर्तते दैवम्।
जो राजा भाग्य का भरोसा न करके कर्म की साधना में अपने आपको लगा देता है, ऐसे राजा के पीछे उसका भाग्य साथ-साथ चलता है। तात्पर्य यही है कि कर्मठ व्यक्ति कभी भाग्य के भरोसे नहीं रहते, उन्हें जो करना होता है उसे करके ही छोड़ते हैं।
अस्थिर मन वाले की सोच ‘स्थिर’ नहीं रहती
असमाहितस्य वृत्तिर्न विद्यते।
जिस राजा का मन निरंतर अस्थिर रहता है और यह सोचता रहता है कि अमुक कार्य को करे या न करे, ऐसा राजा का कोई भी कार्य पूर्ण नहीं हो पाता। उसे असफलता ही मिलती है।