Edited By Prachi Sharma,Updated: 09 Mar, 2025 08:17 AM

आचार्य चाणक्य ने जीवन को सरल, स्पष्ट तरीके से जीने के लिए कुछ सिद्धांत प्रस्तुत किए थे। उनके विचारों को चाणक्य नीति के रूप में जाना जाता है। चाणक्य का मानना था कि शिक्षा और संस्कार जीवन के सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ हैं
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Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने जीवन को सरल, स्पष्ट तरीके से जीने के लिए कुछ सिद्धांत प्रस्तुत किए थे। उनके विचारों को चाणक्य नीति के रूप में जाना जाता है। चाणक्य का मानना था कि शिक्षा और संस्कार जीवन के सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ हैं, जो बच्चों की भविष्यवाणी करते हैं। वे मानते थे कि माता-पिता को अपने बच्चों को सिर्फ शारीरिक या भौतिक दृष्टि से ही नहीं बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक दृष्टि से भी तैयार करना चाहिए। चाणक्य के अनुसार, कुछ ऐसी चीजें हैं जिन्हें माता-पिता अपने बच्चों को सिखाना भूल जाते हैं और यही कारण है कि वे अपनी संतान के लिए शत्रु बन जाते हैं। अगर माता-पिता इन गुणों को बच्चों में विकसित नहीं करते, तो उनका भविष्य प्रभावित हो सकता है। आइए जानते हैं कि चाणक्य के अनुसार वे कौन सी तीन चीजें हैं जिन्हें माता-पिता बच्चों को सिखाना भूल जाते हैं:
विनम्रता
चाणक्य का मानना था कि सफलता का सबसे बड़ा रहस्य विनम्रता में छिपा हुआ है। बच्चे को विनम्रता और सम्मान की भावना सिखाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। चाणक्य के अनुसार, अहंकार व्यक्ति के जीवन को बर्बाद कर सकता है, जबकि विनम्रता उसे समाज में आदर और सम्मान दिलाती है। जब व्यक्ति विनम्र होता है, तो वह दूसरों से सीखने की क्षमता रखता है और उसका दृष्टिकोण हमेशा सकारात्मक रहता है। माता-पिता को यह सिखाना चाहिए कि भले ही वे कितने ही बड़े या सफल क्यों न हों लेकिन हमेशा अपने को जमीन से जुड़ा रखें। विनम्रता केवल बाहरी दुनिया में ही नहीं, बल्कि खुद के प्रति भी होनी चाहिए। बच्चों को यह समझाना चाहिए कि दूसरों का सम्मान करना और उनकी मदद करना जीवन के सबसे महत्वपूर्ण गुणों में से एक है। यदि माता-पिता इस गुण को बच्चों में विकसित करते हैं, तो वे जीवन में किसी भी स्थिति का सामना आसानी से कर सकते हैं।

संयम और आत्म-नियंत्रण
संयम और आत्म-नियंत्रण भी चाणक्य की नीतियों में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। चाणक्य का मानना था कि जो व्यक्ति खुद पर नियंत्रण नहीं रख सकता, वह जीवन में कभी सफलता नहीं पा सकता। बच्चों को आत्म-नियंत्रण सिखाना बहुत जरूरी है क्योंकि यह उन्हें अपने जीवन के हर क्षेत्र में अनुशासन बनाए रखने की क्षमता देता है। चाणक्य के अनुसार, संयम से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। आज के समय में बच्चों को यह सिखाना कि उन्हें अपनी इच्छाओं और भावनाओं पर नियंत्रण रखना चाहिए, अत्यंत आवश्यक है। माता-पिता को यह सिखाना चाहिए कि अगर वे किसी चीज़ को प्राप्त करना चाहते हैं, तो उन्हें मेहनत और संयम के साथ उस लक्ष्य की ओर बढ़ना चाहिए। यह गुण बच्चों को जीवन के हर क्षेत्र में सफलता दिलाता है। जब बच्चे आत्म-नियंत्रण का अभ्यास करते हैं, तो वे अपने निर्णयों में समझदारी से काम लेते हैं और भविष्य में अधिक संतुलित होते हैं।
सब का सम्मान करना
चाणक्य के अनुसार माता-पिता को अपने को बच्चों को सिखाना चाहिए कि वो सबका सम्मान करें। यह न केवल एक नैतिक शिक्षा है बल्कि जीवन में सफलता प्राप्त करने का भी एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। चाणक्य जैसे महान विचारक ने भी इस बात को अपने सिद्धांतों में स्थान दिया है। उनका मानना था कि एक व्यक्ति का आचरण और उसका दूसरों के प्रति सम्मान ही उसकी असली पहचान होती है। जो माता-पिता अपने बच्चों को यह गुण नहीं सिखाते, वे न केवल अपने बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करते हैं, बल्कि समाज में भी नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
