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Chanakya Niti: इन 5 लोगों से दुश्मनी मोल लेना पड़ सकता है भारी

Edited By Prachi Sharma,Updated: 17 Apr, 2025 11:05 AM

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आचार्य चाणक्य की रचनाएं विशेष रूप से चाणक्य नीति, आज भी जीवन के विभिन्न पहलुओं में मार्गदर्शन प्रदान करती हैं। चाणक्य नीति में उन्होंने समाज, राजनीति, और व्यक्तिगत जीवन से संबंधित कई महत्वपूर्ण सिद्धांत प्रस्तुत किए हैं।

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Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य की रचनाएं विशेष रूप से चाणक्य नीति, आज भी जीवन के विभिन्न पहलुओं में मार्गदर्शन प्रदान करती हैं। चाणक्य नीति में उन्होंने समाज, राजनीति, और व्यक्तिगत जीवन से संबंधित कई महत्वपूर्ण सिद्धांत प्रस्तुत किए हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण सिद्धांत यह है कि कुछ विशेष प्रकार के लोगों से दुश्मनी नहीं करनी चाहिए क्योंकि इससे जीवन में गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। चाणक्य ने अपने ग्रंथों में स्पष्ट किया है कि कुछ व्यक्तियों से दुश्मनी करने से व्यक्ति को न केवल मानसिक तनाव होता है बल्कि यह उसकी सामाजिक स्थिति, आर्थिक स्थिरता और व्यक्तिगत सुरक्षा को भी खतरे में डाल सकता है। आइए, चाणक्य नीति के दृष्टिकोण से उन लोगों के बारे में विस्तार से समझते हैं, जिनसे दुश्मनी करने से बचना चाहिए।

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विद्वान और ज्ञानी व्यक्ति:
चाणक्य के अनुसार, विद्वान और ज्ञानी व्यक्ति से दुश्मनी करना मूर्खता है। ऐसे लोग ज्ञान के भंडार होते हैं और समाज में उनका विशेष स्थान होता है। यदि कोई व्यक्ति उनसे दुश्मनी करता है, तो वह न केवल अपने ज्ञान के स्रोत को खो देता है, बल्कि समाज में अपनी प्रतिष्ठा भी गंवा सकता है। विद्वानों की आलोचना करना या उनके खिलाफ षड्यंत्र रचना, व्यक्ति को मानसिक और सामाजिक रूप से कमजोर कर सकता है।

शक्तिशाली और प्रभावशाली व्यक्ति:
चाणक्य नीति में कहा गया है कि शक्तिशाली और प्रभावशाली व्यक्तियों से दुश्मनी करना स्वयं के लिए संकट को आमंत्रित करना है। ऐसे लोग अपनी शक्ति और संसाधनों का उपयोग करके अपने विरोधियों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। यदि कोई व्यक्ति उनसे टकराव करता है, तो उसे न केवल आर्थिक नुकसान हो सकता है, बल्कि उसकी सामाजिक स्थिति भी प्रभावित हो सकती है। इसलिए, चाणक्य सलाह देते हैं कि शक्तिशाली व्यक्तियों से मित्रता बनाए रखना ही बुद्धिमानी है।

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धैर्यवान और सहनशील व्यक्ति:
चाणक्य के अनुसार, धैर्यवान और सहनशील व्यक्ति से दुश्मनी करना खतरनाक हो सकता है। ऐसे लोग अपनी सहनशीलता के कारण लंबे समय तक किसी भी स्थिति को सहन कर सकते हैं लेकिन जब उनका धैर्य टूटता है, तो वे अपने विरोधियों को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं। उनकी चुप्पी को कमजोरी समझना भूल है, क्योंकि वे समय आने पर अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर सकते हैं। इसलिए, ऐसे व्यक्तियों से दुश्मनी करने से बचना चाहिए।

 ईमानदार और नैतिक व्यक्ति:
चाणक्य नीति में ईमानदार और नैतिक व्यक्तियों से दुश्मनी करने से मना किया गया है। ऐसे लोग अपने सिद्धांतों के प्रति प्रतिबद्ध होते हैं और किसी भी परिस्थिति में अपने मूल्यों से समझौता नहीं करते। यदि कोई व्यक्ति उनसे दुश्मनी करता है, तो वह अपने नैतिक आधार को कमजोर करता है और समाज में अपनी विश्वसनीयता खो सकता है। ईमानदार व्यक्तियों से मित्रता करना और उनके सिद्धांतों से सीखना ही उचित है।

अपने गुरु या शिक्षक:
चाणक्य के अनुसार, अपने गुरु या शिक्षक से दुश्मनी करना आत्मघाती कदम है। गुरु व्यक्ति के जीवन में मार्गदर्शन करते हैं और उसे सही दिशा दिखाते हैं। यदि कोई व्यक्ति अपने गुरु से दुश्मनी करता है, तो वह अपने ज्ञान के स्रोत को खो देता है और जीवन में भटक सकता है। गुरु का आशीर्वाद व्यक्ति के लिए संजीवनी बूटी के समान होता है, जिसे खोना नहीं चाहिए। 

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