Chandra Shekhar Azad Birth Anniversary: क्रांतिकारियों के आदर्श चंद्रशेखर आजाद, जिन्हें महज 15 साल की उम्र में मिली कोड़ों की सजा

Edited By Prachi Sharma,Updated: 23 Jul, 2024 06:53 AM

chandra shekhar azad birth anniversary

स्वतंत्रता संग्राम के नायको में अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद एक ऐसा नाम है, जिसके स्मरण मात्र से शरीर की रगें फड़कने लगती हैं। एक युवा क्रांतिकारी, जिसने अपने देश के लिए हंसते-हंसते प्राण उत्सर्ग कर दिए और संघर्ष में आखिरी सांस

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Chandra Shekhar Azad Birth Anniversary: स्वतंत्रता संग्राम के नायको में अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद एक ऐसा नाम है, जिसके स्मरण मात्र से शरीर की रगें फड़कने लगती हैं। एक युवा क्रांतिकारी, जिसने अपने देश के लिए हंसते-हंसते प्राण उत्सर्ग कर दिए और संघर्ष में आखिरी सांस तक आजाद ही रहा। दुनिया में जिस सरकार का सूर्य अस्त नहीं होता था, वह शक्तिशाली सरकार भी उसे कभी बेड़ियों में जकड़ नहीं पाई।

इस वीर का जन्म 23 जुलाई, 1906 को मध्य प्रदेश की अलीराजपुरा रियासत के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में स्थित मामरा (अब चन्द्रशेखर आजाद नगर) ग्राम में मां जगरानी की कोख से गरीब तिवारी परिवार में पांचवीं संतान के रूप में हुआ।

PunjabKesari Chandra Shekhar Azad Birth Anniversary

पिता सीता राम तिवारी बहुत ही मेहनती और धार्मिक विचारों के थे। इनके जन्म से ही वे चाहते थे कि बेटा बड़ा होकर संस्कृत का विद्वान बने, परन्तु उन्हें क्या पता था कि उनके इस शेर बेटे ने भारत माता को आजाद करवाने के लिए अंग्रेजों की नींद हराम कर देनी है। चंद्रशेखर की आरंभिक शिक्षा गांव में ही हुई। यहीं पर उन्होंने भील बालकों के साथ धनुष-बाण चलाना सिखा और महाभारत के अर्जुन जैसे निशानेबाज बने, जिसका फायदा उन्हें क्रांति और स्वाधीनता संग्राम की लड़ाई में गोलियों के निशाने लगाने में मिला।

1919 में हुए अमृतसर के जलियांवाला बाग नरसंहार ने देश के नवयुवकों को उद्वेलित कर दिया। चन्द्रशेखर उस समय पढ़ाई कर रहे थे। 14 वर्ष की आयु में इन्हें संस्कृत पढ़ने के लिए काशी भेजा गया। काशी में ही चन्द्रशेखर देश को आजाद करवाने के लिए प्रयासरत  क्रांतिकारी वीरों के सम्पर्क में आए और उनके प्रभाव से छोटी आयु में ही देश को आजाद करवाने के कांटों भरे रास्ते पर चल पड़े।

काशी संस्कृत महाविद्यालय में पढ़ते हुए असहयोग आंदोलन में पहला धरना दिया, जिसके कारण पुलिस ने इन्हें गिरफ्तार कर न्यायाधीश के सामने पेश किया। न्यायाधीश के साथ इनके सवांद सुर्खियों  में आ गए। न्यायाधीश ने जब इनका नाम, पिता का नाम तथा पता पूछा तो निर्भीक चन्द्रशेखर ने अपना नाम आजाद, पिता का नाम स्वतंत्र और निवास बंदीगृह बताया, जिससे इनका नाम हमेशा के लिए चन्द्रशेखर आजाद मशहूर हो गया।

PunjabKesari Chandra Shekhar Azad Birth Anniversary

उनके उत्तरों से मैजिस्ट्रेट गुस्से से लाल हो गया और इन्हें 15 बेंतों की कड़ी सजा सुनाई, जिसे देश के मतवाले इस निर्भीक बालक ने प्रत्येक बेंत के शरीर पर पड़ने पर भारत माता की जय और वंदे मातरम का जयघोष कर स्वीकार किया। इस घटना से अन्य क्रांतिकारियों भगत सिंह, राम प्रसाद बिस्मिल, राजगुरु, सुखदेव से इनका संपर्क हुआ और आजाद पूरी तरह से क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल हो गए।

साइमन कमीशन के विरोध में बरसी लाठियों के कारण लाला लाजपतराय जी की शहादत का बदला पुलिस अधीक्षक सांडर्स का वध करके लिया। फिर काकोरी स्टेशन के पास ट्रेन से सरकारी खजाना लूटा। 27 फरवरी, 1931 के दिन इलाहाबाद के अलफ्रेड पार्क में पुलिस ने इन्हें घेर लिया। 20 मिनट तक भारत माता के 24 वर्षीय इस शेर ने पुलिस का डट कर मुकाबला किया और अपने बेहतरीन निशाने से कई को मौत से मिला दिया। इस मुकाबले में चन्द्रशेखर के शरीर में भी कई गोलियां समा गईं।

घायल चन्द्रशेखर के पास जब अंतिम गोली रह गई तो उन्होंने उसे कनपटी पर लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर आजादी के महायज्ञ में अपने जीवन की आहुति डाल दी।

PunjabKesari Chandra Shekhar Azad Birth Anniversary

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!