Edited By Niyati Bhandari,Updated: 01 Jul, 2024 08:20 AM
17 जुलाई को देवशयनी एकादशी से चातुर्मास शुरू हो जाएगा। सावन, भादों, अश्विनी और कार्तिक ऐसे चार महीने होते हैं, जब सभी प्रकार के शुभ कार्य जैसे विवाह, मुंडन, नामकरण संस्कार, गृह प्रवेश, यज्ञ आदि धार्मिक कार्य वर्जित माने जाते हैं, इन चार महीनों को...
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Chaturmas: 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी से चातुर्मास शुरू हो जाएगा। सावन, भादों, अश्विनी और कार्तिक ऐसे चार महीने होते हैं, जब सभी प्रकार के शुभ कार्य जैसे विवाह, मुंडन, नामकरण संस्कार, गृह प्रवेश, यज्ञ आदि धार्मिक कार्य वर्जित माने जाते हैं, इन चार महीनों को चातुर्मास बोला जाता है।
हिन्दू पंचांग के अनुसार देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी के समय को चातुर्मास कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि संसार के पालनहार भगवान विष्णु इन चार महीनों में क्षीर सागर को छोड़ कर राजा बलि के निवास पाताल लोक में विश्राम करते हैं। ऐसे समय में भगवान शिव संसार का पालन अपने हाथों में लेते हैं।
पौराणिक कथा के अनुसार सतयुग में राजा बलि ने राक्षस वंश में भगवान हरि के परम भक्त प्रह्लाद के पोते के रूप में जन्म लिया। राजा बलि ने तीनों लोकों में अपने बल से अधिकार कर लिया। तब सभी देवता भगवान विष्णु से सहायता मांगने लगे। भगवान विष्णु ने वामन रूप में अवतार लिया और राजा बलि के पास गए, उस समय राजा यज्ञ कर रहे थे। यज्ञ की समाप्ति के बाद दान का विधान होता है। राजा बलि ने वामन से दान मांगने को बोला। वामन ने सिर्फ तीन पग भूमि दान में मांगी, जो राजा बलि ने स्वीकार कर ली। वामन ने विराट रूप धारण कर के पहले पग से पूरी धरती, दूसरे पग से आकाश नाप लिया। तीसरा पग उन्होंने राजा बलि के सर पर रखा जिस से वो पाताल में धंस गये। राजा बलि की उदारता देख कर भगवान विष्णु ने प्रसन्न होकर राजा बलि को चिरंजीवी होने का वरदान दिया और बोला की चातुर्मास में वे क्षीर सागर को छोड़ कर पाताल लोक में विश्राम करेंगे।
आचार्य लोकेश धमीजा
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