Edited By Niyati Bhandari,Updated: 25 Jun, 2024 08:38 AM
महाराष्ट्र में अलीबाग के पास स्थित चौल कई राजवंशों के उत्थान और पतन का साक्षी रहा है। इतिहास इस तथ्य का भी गवाह है कि पुर्तगाली पहले चौल में, लगभग 500 साल पूर्व सन् 1521 में आए थे। बाद में सन्
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Chaul Tourism 2024: महाराष्ट्र में अलीबाग के पास स्थित चौल कई राजवंशों के उत्थान और पतन का साक्षी रहा है। इतिहास इस तथ्य का भी गवाह है कि पुर्तगाली पहले चौल में, लगभग 500 साल पूर्व सन् 1521 में आए थे। बाद में सन् 1570 में अहमदनगर के निजाम शाही सुल्तान द्वारा यह शहर नष्ट कर दिया गया लेकिन सन् 1613 में चौल शहर को पुन: स्थापित किया गया। शहर पुर्तगाली खंडहर, पुराने चर्चों और आराधनालयों के साथ भरा हुआ है। शहर में आज भी ऐतिहासिक महत्व की इमारतों के खंडहर देखे जा सकते हैं।
मुम्बई से लगभग 60 किलोमीटर दूर स्थित चौल दक्षिण की ओर स्थित रायगढ़ जिले के अंतर्गत आता है। यहां कोरलाई और चौल किले दो ऐसे ऐतिहासिक स्थान हैं जो आपको अतीत में ले जाते हैं।
प्रमुख आकर्षण
Datta Mandir Chual दत्त मंदिर : मान्यताओं के अनुसार रेवदंडा में स्थित भगवान दत्तात्रेय के इस मंदिर का निर्माण छत्रपति शिवाजी महाराज के शासनकाल में किया गया था। यह मंदिर पर्वत की एक शीर्ष चोटी पर स्थित है। लगभग 1500 सीढ़ियों की चढ़ाई द्वारा यहां पहुंचा जाता है।
ऊपर से चौल के साथ रेवदंडा का पूरा क्षेत्र दिखाई देता है। भगवान दत्त की जयंती यहां धूमधाम से 5 दिन तक मनाई जाती है। स्थानीय छात्रों को इस समय जयंती के उपलक्ष्य में विशेष अवकाश दिया जाता है।
Korlai Fort कोरलाई किला : कोरलाई किला- मोर्रो या पनमुर्गी महल के रूप में भी मशहूर है। इसका निर्माण पुर्तगालियों द्वारा कोरलाई कस्बे में चौल गांव के मोरों डी चौल नामक टापू पर सन् 1521 में आज से लगभग 500 साल पहले किया गया था। यह किला भी चौल किले जैसा ही दिखता है और रणनीतिक दृष्टि से कोरलाई से समुद्र तट तक अपने शासन के बचाव के लिए बनाया गया था।
इसका एक उद्देश्य रेवदंडा क्रीक के मार्ग की रक्षा करना भी था। किला पूरी दुनिया में सबसे अच्छे किलों में से एक होने के लिए प्रसिद्ध है और इतना बड़ा था कि इसमें करीब 7000 घोड़े और उतने ही सिपाही आसानी से रह सकते थे।
Revdanda रेवदंडा : यह अलीबाग के पास स्थित चौल गांव से लगभग 17 किलोमीटर दूर स्थित है। यह एक ऐतिहासिक महत्व का स्थल है। क्षेत्र में सुपारी और नारियल के पेड़ पंक्तियों में पाए जाते हैं। इसे मराठी में नरालाची बाग कहा जाता है। एक विशेष खुशबूदार फूल जिसे बकुलि के नाम से जाना जाता है भी यहां पाया जाता है। रेवदंडा समुद्र तट सुंदर और बिल्कुल अलग है। कई स्थानों पर यह काली रेत से ढंका है और आराम करने के लिए एक अच्छी जगह है। कई पर्यटक यहां पर कैम्पिंग करना भी पसंद करते हैं।
Chowlo Kadu Lighthouse चौलो काडू लाइट हाऊस : यह लाइट हाऊस कोरलाई पोर्ट के पास स्थित है। यहां तक मोटर नाव द्वारा पहुंचा जा सकता है। यात्रा में 1 से 1.5 घंटे लगते हैं। 17वीं सदी में रेवदंडा के किले में प्रवेश के लिए लाइट हाऊस एक मील के पत्थर के रूप में मौजूद था।
यह लगभग 6 कि.मी. दूर है। लाइट हाऊस के चारों ओर चौल काडू की भित्तियों की सुंदरता देखते ही बनती है लेकिन वहां कई जलमग्न चट्टानें हैं।
नौकायन के लिए लाइट हाऊस के चारों ओर सीमांकन किया गया था। 1860 के दशक में चट्टान के निकट एक शरण कक्ष बनाया गया था।
जीवंत मौसम
चौल में मौसम का मिजाज हमेशा बेहद सुहाना रहता है। गर्मियों के दौरान (मार्च से जुलाई) चौल में बेहद अच्छे और मनभावन मौसम का अनुभव होता है।
इसी तरह चौल क्षेत्र में अच्छी वर्षा के कारण मानसून स्वास्थ्यप्रद है। यदि आप बारिश का आनंद लेना चाहते हैं तो इस मौसम में यहां की यात्रा बेहद रोमांचकारी होती है। इसी तरह सर्दियों में 12 डिग्री सैल्सियस तक के तापमान के साथ चौल सबसे अच्छी जगह है। अधिकतम तापमान 28 डिग्री सैल्सियस के आसपास रहता है। यह मौसम नवम्बर महीने से मध्य फरवरी तक रहता है।
आसानी से पहुंच सकते हैं
सड़क मार्ग : चौल, अलीबाग के पास है। यह मुम्बई-गोवा राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है और यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है। कई निजी टूर आप्रेटर और राज्य परिवहन की बसें मुम्बई और पुणे जैसे शहरों से चौल के लिए दैनिक शटल सेवा प्रदान कर रहीं हैं।
रेल मार्ग : पेण स्टेशन चौल के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन है और लगभग 30 किलोमीटर दूर है। पेण महाराष्ट्र के अंदर और बाहर अन्य शहरों से कोंकण रेलवे से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
वायु मार्ग : मुम्बई स्थित छत्रपति शिवाजी महाराज अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा चौल के लिए निकटतम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है। मुम्बई हवाई अड्डा दैनिक उड़ानों से भारत के सभी राज्यों और प्रमुख शहरों से बहुत अच्छी तरह से जुड़ा है।