Chauth Mata Temple: चौथ माता के एकमात्र मंदिर में करवा चौथ पर लगता है खास मेला, पढ़िए अनोखी कहानी

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 01 Nov, 2023 09:33 AM

chauth mata temple

हिंदू धर्म में करवा चौथ का त्यौहार बेहद अहम है, जिसे कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर मनाया जाता है। इस व्रत में चौथ मैया की पूजा भी की जाती है

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Chauth Mata Temple: हिंदू धर्म में करवा चौथ का त्यौहार बेहद अहम है, जिसे कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर मनाया जाता है। इस व्रत में चौथ मैया की पूजा भी की जाती है और उनका आशीर्वाद लिया जाता है। चौथ माता को माता पार्वती का ही एक रूप माना जाता है। देश में चौथ माता का एकमात्र प्राचीन और सुप्रसिद्ध मंदिर राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में ‘चौथ का बरवाड़ा’ नामक स्थान में है। माता का भव्य मंदिर इसी छोटे से शहर के शक्ति गिरी पर्वत पर बना हुआ है।

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1,000 फुट की ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर तक पहुंचने के लिए लगभग 700 सीढ़ियां चढ़नी होती हैं। देवी की मूर्ति के अलावा मंदिर परिसर में भगवान गणेश और भैरव की मूर्तियां भी दिखाई पड़ती हैं। यूं तो हर माह की चतुर्थी पर मंदिर में भक्तों की भीड़ जुटती रहती है, लेकिन करवा चौथ पर लगने वाले मेले में श्रद्धालुओं का भारी तांता लगा रहता है।

History of the temple मंदिर का इतिहास
साल 1451 में राजा भीम सिंह ने चौथ माता मंदिर की स्थापना की थी। इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि राजा भीम सिंह एक बार संध्या में शिकार पर निकल रहे थे। इसी दौरान उनकी रानी रत्नावली ने उन्हें रोका तो उन्होंने कहा कि एक बार चौहान घोड़े पर सवार होने पर शिकार करने के बाद ही उतरता है, यह कह कर राजा भीम सिंह कुछ सैनिकों के साथ जंगल की ओर रवाना हो गए।

जंगल में उन्हें एक मृग दिखाई दिया, जिसका वह पीछा करने लगे लेकिन काफी देर पीछा करने के बाद वह गायब हो गया। सैनिक भी रास्ता भटक कर उनसे अलग हो चुके थे। राजा व्याकुल हो उठा और प्यास से बेचैन हो गया। काफी ढूंढने के बाद भी उन्हें कहीं पानी नहीं मिला और वह मूर्छित होकर घने जंगल में ही गिर पड़े। इस दौरान उन्हें पचाला तलहटी में चौथ माता की प्रतिमा दिखाई दी। तेज बारिश के साथ जब उन्हें होश आया तो उनके चारों ओर पानी ही पानी था। सबसे पहले उन्होंने पानी पिया। इस दौरान उनकी नजर घने जंगल में खेलती हुई एक छोटी बच्ची पर पड़ी। राजा भीम सिंह ने उसके पास पहुंच कर उससे पूछा कि यहां अकेले क्या कर रही हो तो बच्ची ने कहा कि यह बताएं कि आपकी प्यास बुझी या नहीं।

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इसी के साथ उस बच्ची ने देवी का रूप ले लिया। राजा तुरंत उनके चरणों में गिर गए और कहा कि हे माता, मुझे आपसे कुछ नहीं चाहिए, बस इतनी इच्छा है कि आप मेरे राज्य में वास करें। इसके बाद उनकी प्रतिमा पर्वत पर स्थापित की गई। 1463 में मंदिर मार्ग पर छतरी और तालाब का निर्माण कराया गया।

Special fair is organized on Karva Chauth करवा चौथ पर लगता है खास मेला
चौथ माता के मंदिर में नवरात्रि के अलावा करवा चौथ के मौके पर खास मेला लगता है, जब देशभर से दर्शन करने के लिए श्रद्धालु पहुंचते हैं।

Unbroken light अखंड ज्योति
पिछले कई सौ साल से मंदिर में एक अखंड ज्योति जल रही है। इसका रहस्य आज तक कोई नहीं सुलझा पाया है।

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Mata's first invitation for auspicious work शुभ काम का पहला निमंत्रण माता को
स्थानीय लोगों में इस मंदिर से जुड़ी मान्यता है कि शादी की रस्में चौथ माता के दर्शन के बाद ही पूरी होती हैं। नवविवाहित दुल्हन अखंड सौभाग्यवती होने के साथ-साथ अपने पति की रक्षा की प्रार्थना भी करती है। हर शुभ काम से पहले आस-पास के गांवों में रहने वाले लोग चौथ माता के मंदिर में आकर उन्हें पहला निमंत्रण देते हैं। चौथ माता राजस्थान के बूंदी राजघराने की कुलदेवी भी हैं।

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