Edited By Prachi Sharma,Updated: 02 Sep, 2024 10:46 AM
कर्नाटक के बेलूर में स्थित चेन्नाकेशव मंदिर बेहद प्रसिद्ध है। यह करीब 1000 वर्ष पुराना है और देश के कोने-कोने से श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं। यह
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Chennakeshava Temple: कर्नाटक के बेलूर में स्थित चेन्नाकेशव मंदिर बेहद प्रसिद्ध है। यह करीब 1000 वर्ष पुराना है और देश के कोने-कोने से श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं। यह प्रसिद्ध मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। मंदिर अपनी नक्काशी और वास्तुकला के लिए भी काफी लोकप्रिय हैं। यह मंदिर 103 वर्षों में निर्मित हुआ था। मंदिर का निर्माण होयसल राजवंश के राजा विष्णुवर्धन ने करवाया था। मंदिर 1117 में बनकर तैयार हुआ, जिसका निर्माण नरम सोपस्टोन से हुआ है। चेन्नाकेशव स्वामी को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। यह मंदिर होयसल काल में बना, जिस कारण इसमें होयसल वास्तुकला की झलक दिखती है।
178 फुट लम्बा और 156 फुट चौड़ा मंदिर
चेन्नाकेशव मंदिर के डिजाइन तथा आकार की बात करें तो यह बेहद सुंदर है। यह सितारे जैसा है और कहते हैं कि इसमें कुल 10,000 बड़ी और छोटी मूर्तियां हैं, जिन्हें एक-दूसरे से जोड़ने की ऐसी विधि का इस्तेमाल करके बनाया गया है, जिसके बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं। प्रत्येक आकृति एक-दूसरे से अलग है। चट्टान के एक टुकड़े पर उकेरे गए इसके डिजाइन की जटिलता का स्तर प्राचीन कारीगरों की असीम प्रतिभा को दर्शाता है। मंदिर 178 फुट लंबा और 156 फुट चौड़ा है, जिसमें कुल 48 नक्काशीदार खंभे हैं। इन खंभों पर विभिन्न प्रकार की नक्काशी है।
मंदिर की दीवारों पर पौराणिक पात्रों का चरित्रांकन है। इस मंदिर की संरचना इतनी भव्य है कि इसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा मान्यता दी गई है। इसके तीन प्रवेश द्वारों में से पूर्वी प्रवेश द्वार सबसे अच्छा और सुंदर माना जाता है। इस मंदिर में रामायण और महाभारत काल से संबंधित कई चित्र चित्रित हैं। इस मंदिर में सरस्वती मां की भी एक मूर्ति है जो बहुत ही अनोखी है। इस मूर्ति के सिर पर पानी डालने पर नाक के नीचे बाईं ओर होता हुआ पानी बाएं हाथ की हथेली में आकर गिरता है। इसके बाद पानी की धारा दाएं पैर के तलवे से होते हुए बाएं पैर पर गिरती है।
मंदिर के भव्य प्रवेश द्वार में दोनों ओर दो राजसी गायों के सींग लगे हुए हैं। एक बार जब आप मुख्य स्मारक पर पहुंचते हैं, तो आपको सुंदरियों की आकर्षक मूर्तियां दिखाई देंगी। यहां कुल 42 मूर्तियां हैं जिनमें से प्रत्येक को बहुत ही बारीकी से उकेरा गया है। उनमें से एक दर्पण सुंदरी है, जो एक शोस्टॉपर है। कल्पना कीजिए- एक महिला अपने बाएं हाथ में आईना पकड़े हुए है, सिर से पैर तक चमकदार आभूषणों से सजी हुई है और इस तरह के जीवंत भावों से उकेरी गई है कि ऐसा लगता है जैसे उसने अभी-अभी अपनी सांसें रोकी हों।
कैसे पहुंचें : इस मंदिर में श्रद्धालु सड़क, वायु और रेल मार्ग के जरिए आसानी से पहुंच सकते हैं। इस मंदिर में जाने के लिए नजदीकी हवाई अड्डा मैंगलोर है और नजदीकी रेलवे स्टेशन हासन जंक्शन है। अगर आप हवाई जहाज से जा रहे हैं तो आपको एयरपोर्ट पर उतरकर आगे के 180 किलोमीटर का सफर बस या टैक्सी से तय करना पड़ेगा। वहीं, रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी महज 25 किलोमीटर है।