Chhath Puja 2022: छठी मैया को भोग लगाने से पहले जानें क्या है उनकी पसंद

Edited By Jyoti,Updated: 29 Oct, 2022 09:05 AM

chhath puja

28 अक्टूबर से इस साल का छठ पर्व आरंभ हो गया है, जिसके बाद आज छठ पर्व का दूसरा दिन है। बता दें हिंदू पंचांग के अनुसार छठ का पर्व हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। वैसे तो देश के विभिन्न जगहों में इसकी धूम होती ही है...

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
28 अक्टूबर से इस साल का छठ पर्व आरंभ हो गया है, जिसके बाद आज छठ पर्व का दूसरा दिन है। बता दें हिंदू पंचांग के अनुसार छठ का पर्व हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। वैसे तो देश के विभिन्न जगहों में इसकी धूम होती ही है लेकिन बिहार, यूपी और झारखंड जैसे क्षेत्रों में इसे अधिक धूम धाम व श्रद्धापूर्वक मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दौरान सूर्यदेव व छठी मैय्या की पूजा का विधान होता है। माना जाता है छठ पर्व का ये व्रत अत्यंत कठिन होता है। इस दौरान खासतौर से महिलाएं और व्रती 36 घंटे लंबा व्रत करते हैं। शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को नहाय-खाय से छठ का पर्व की शुरुआत हो जाती है। यानि 3 दिनों तक लगातार ये व्रत चलता है।
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छठ पर्व के दौरान पूरी तरह से सात्विक भोजन किया जाता है। छठ पूजा की तैयारियां पहले से ही शुरु कर दी जाती हैं। छठी मइया को तरह-तरह प्रसाद और फलों के भोग लगाया जाता है। ऐसे में हम आपको इसी के बारे में बताने जा रहे हैं कि किन चीज़ों का भोग छठी माता को लगाना फलदायक माना गया है। कहते हैं कि इन खास चीज़ों को भोग लगाने से माता प्रसन्न होकर व्रती की हर इच्छा को पूर्ण करती हैं। तो चलिए दोस्तों आगे जानते हैं कि छठी मइया को प्रसन्न करने के लिए किन फलों का भोग लगाना उचित होता है।

छठ की पूजा में डाभ, जोकि नींबू की तरह होता है। अर्पित किया जाता है। यह सामान्य नींबू से बड़ा होता है और स्वाद में भी यह खट्टेपने के साथ मीठा होता है। इस  फल को शुद्ध माना जाता है। इसलिए छठी मइया को प्रसाद में डाभ चढ़ाया जाता है।

शास्त्रों में केले के वृक्ष को बहुत ही पवित्र माना जाता है। मान्यता है कि इसमें भगवान विष्णु का वास होता है।इसलिए छठ की पूजा में छठी मइया को केला भी चढ़ाया जाता है। कोई पक्षी उसे झूठा न करे इसलिए कच्चे केले को पहले ही घर पर लाकर पका लिया जाता है और उसे षष्टी तिथि को छठी माता को अर्पित करते हैं।
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छठ के त्योहार में पानी वाला नारियल चढ़ाने का बहुत महत्व माना गया है। हिंदू धर्म में होने वाली हर पूजा में नारियल को पवित्र माना गया है।  क्योंकि इसकी सतह बहुत सख्त होने के साथ यह ऊंचाई पर लगता है। जिसकी वजह से पशु-पक्षी इसे झूठा नहीं कर पाते हैं। बता दें कि शास्त्रों में नारियल को मां लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है।

कहते हैं कि ये फल मिट्टी से निकलता है। यह देखने और स्वाद में शकरकंदी की तरह लगता है। इस फल को बहुत ही शुद्ध माना जाता है, इसलिए छठी मइया की पूजा में यह फल अर्पित किया जाता है। छठ पूजा में गन्ना चढ़ाने का भी बहुत महत्व माना जाता है। लोग कई गन्नों को उनके हरे हिस्से समेत ऊपर की ओर से बांध कर घर की आकृति बनाते हैं और फिर उस जगह पर पूजा की जाती है। माना जाता है कि छठी मईया को गन्ना अर्पित करने से वे प्रसन्न होती हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है।
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सिंघाड़ा या सिंघारा एक ऐसा फल है जोकि तालाब में एक बेल पर लगता है। खाने में इसका स्वाद मीठा रहता है। ऊपर से इसकी सतह बहुत सख्त होती है। जिसके कारण कीट आदि इसे झूठा नहीं कर पाते हैं। इसलिए इस फल को शुद्ध माना जाता है। छठ की पूजा में सिंघारा भी चढ़ाया जाता है।

हिंदू धर्म में पूजा-पाठ के काम में सुपारी का खास महत्व होता है। कोई भी पूजा इसके बिना अधूरी ही मानी जाती है। छठ पूजा में भी सुपारी का प्रयोग अवश्य किया जाता है।और पूजन के दौरान माता छठी को चढ़ाया जाता है।  

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