Edited By Prachi Sharma,Updated: 03 Nov, 2024 04:00 AM
दिवाली के बाद एक बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व मनाया जाता है और वो है छठ पूजा। छठ पूजा एक प्रमुख भारतीय त्योहार है। जिसे खासतौर पर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल में मनाया जाता है
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Chhath Puja 2024: दिवाली के बाद एक बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व मनाया जाता है और वो है छठ पूजा। छठ पूजा एक प्रमुख भारतीय त्योहार है। जिसे खासतौर पर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल में मनाया जाता है। यह पूजा सूर्य देवता और छठ माता की आराधना के लिए होती है जो जीवन देने वाली ऊर्जा का प्रतीक माने जाते हैं। इस पूजा का आयोजन कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से सप्तमी तक किया जाता है। इस दौरान भक्त सूर्य देवता से स्वास्थ्य, समृद्धि और खुशियों की कामना करते हैं। पंचांग के मुताबिक हर साल कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से छठ पूजा के पर्व की शुरुआत होती है। इस व्रत को सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। ये पर्व पूरे तीन दिन तक चलता है और माताएं परिवार की सुख-शांति के लिए तीन दिन का ये व्रत रखती हैं। तो चलिए ज्यादा देर न करते हुए जानते हैं इस बार कब से छठ पर्व की शुरुआत होगी।
Chhath Puja Date 2024 छठ पूजा तिथि 2024
कैलेंडर के अनुसार चतुर्थी तिथि से इसकी शुरुआत होती है और छठ पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है। वर्ष 2024 में 7 नवंबर 12:41 ए.एम को सुबह इसकी शुरुआत होगी और अगले दिन 8 नवंबर 12:34 ए.एम को इसका समापन होगा। वैसे तो हिन्दू धर्म में हर त्यौहार उदया तिथि के अनुसार मनाया जाता है लेकिन छठ पूजा शाम के समय होती है इसलिए ये व्रत 7 नवंबर को रखा जाएगा।
सूर्यास्त समय छठ पूजा के दिन - 05:59 पी.एम
Chhath Puja Calendar छठ पूजा कैलेंडर
छठ पूजा का पहला दिन, 5 नवंबर 2024- नहाय खाय
छठ पूजा का दूसरा दिन, 6 नवंबर 2024- खरना
छठ पूजा का तीसरा दिन, 7 नवंबर 2024- संध्या अर्घ्य
छठ पूजा का चौथा दिन, 8 नवंबर 2024- उषा अर्घ्य
छठ पूजा की प्रक्रिया चार दिनों में होती है-
नहाय-खाय: पहला दिन नहाय-खाय कहलाता है। इस दिन भक्त स्नान करते हैं और खास भोजन तैयार करते हैं, जिसमें चावल, अरवा दाल और कद्दू शामिल होते हैं। इस दिन का उद्देश्य शरीर को पवित्र करना और पूजा की तैयारी करना होता है।
खरना: दूसरे दिन को खरना कहते हैं। इस दिन व्रति उपवास रखती हैं और दिनभर फल-फलों का सेवन करती हैं। शाम को पूजा के दौरान गुड़ और चावल की खीर बनाई जाती है, जिसे परिवार के सदस्यों के साथ बांटा जाता है।
संध्या अर्घ्य: तीसरे दिन संध्या अर्घ्य दिया जाता है। भक्त सूर्यास्त के समय नदी या तालाब के किनारे जाकर सूर्य देवता को अर्घ्य अर्पित करते हैं। इस दौरान विशेष रूप से ठेकुआ और अन्य पकवान तैयार किए जाते हैं।
सुबह अर्घ्य: अंतिम दिन सुबह सूर्योदय के समय पुनः अर्घ्य अर्पित किया जाता है। इस समय लोग सूर्य को जल अर्पित करते हैं और उनकी कृपा की कामना करते हैं।