Edited By Prachi Sharma,Updated: 06 Nov, 2024 07:28 AM
केलवा जे फरेले घवद से उहे पर सुगा मंडराय, मारबउ रे सुगवा धनुष से सुगा गिरे मुरूछाय व कांच ही बांस के बहंगिया बहंगी लचकत जाय.......
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केलवा जे फरेले घवद से उहे पर सुगा मंडराय, मारबउ रे सुगवा धनुष से सुगा गिरे मुरूछाय व कांच ही बांस के बहंगिया बहंगी लचकत जाय.......
जैसे लोक आस्था के गीतों के साथ छठ पूजा महापर्व का शुभारंभ हो गया। दिल्ली शहर में रहने वाले पूर्वांचल, बिहार व झारखंड वासियों के घरों में छठ पूजा के मधुर लोकगीत गुंजने लगे हैं। राजधानी दिल्ली में मंगलवार से नहाय-खाय के साथ ही चार दिवसीय लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा शुरू हो गया। भगवान सूर्यदेव और छठी मईया को समर्पित महापर्व छठ पूजा प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है, इसमें संतान के स्वास्थ्य, सफलता और दीर्घायु के लिए पूरे 36 घंटे का निर्जला उपवास किया जाता है।
हिन्दू पंचाग के अनुसार हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि का दिन नहाय-खाय का होता है। मंगलवार को इस महापर्व को करने वाले पूर्वाचल, बिहार व झारखंड के लोगों के साथ लोक आस्था के महापर्व को मानने वाले लोगों तथा व्रतियों ने नहाय-खाय किया। इस दौरान व्रती और परिवार के लोगों ने घर की साफ-सफाई की, उसके बाद व्रतियों ने नदी या घर में स्नान किया और साथ ही स्वच्छ वस्त्र धारण किया। छठ पूजा की शुरूआत के लिए व्रतियों ने प्रसाद बनाकर सूर्यदेव व छठ माता की पूजा कर अराधना किया। साथ ही व्रतियों ने दिन में सिर्फ एक ही बार शुद्ध व स्वच्छ सात्विक खाना खाया। खाने में व्रतियों ने घर में चना दाल, लौकी या कद्दू की सब्जी बनाई, जिसमें शुद्ध सेंधा नामक का इस्तेमाल किया। सब्जी के साथ अरबा चावल (बिना उबले धान का चावल) बनाया और उसका सेवन किया। नहाय-खाय में अन्य किसी सब्जी जैसे प्याज, लहसन, बैगन आदि वर्जित होता है। नहाय-खाय करने के बाद व्रती और उनके परिवार के लोगों ने छठ महापर्व बढिया से संपन्न हो, इसके लिए छठी मईया व सूर्यदेव की अराधना की।