Chhath Puja: आज है छठ पूजा का महापर्व, सूर्य को जल चढ़ाकर करें दिन का शुभ आरंभ

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 07 Nov, 2024 01:21 PM

chhath puja

Chhath Puja 2024: 7 नवंबर को छठ पूजा का महापर्व है। 7 नवंबर को कार्तिक शुक्ल षष्ठी की शाम डूबते सूर्य को और 8 नवंबर की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। आमतौर पर उदय होते सूर्य को ही जल देने या पूजा करने का चलन है लेकिन चार दिनों तक चलने वाला यह...

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Chhath Puja 2024: 7 नवंबर को छठ पूजा का महापर्व है। 7 नवंबर को कार्तिक शुक्ल षष्ठी की शाम डूबते सूर्य को और 8 नवंबर की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। आमतौर पर उदय होते सूर्य को ही जल देने या पूजा करने का चलन है लेकिन चार दिनों तक चलने वाला यह सूर्य षष्ठी व्रत भैया दूज के तीसरे दिन से आरम्भ होता है। पहले दिन सेंधा नमक, घी से बना हुआ अरवा चावल और कद्दू की सब्जी का भोजन ग्रहण करते हैं। अगले दिन से उपवास आरम्भ होता है। व्रती दिन भर अन्न-जल त्याग कर शाम को खीर बनाकर, पूजा करके प्रसाद ग्रहण करते हैं, जिसे खरना कहते हैं। इसके अगले दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य यानी दूध अर्पण करते हैं। इसके अंतिम दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करते हैं। इस तरह व्रतधारी बिना अन्न-जल के लगातार 36 घंटे का व्रत रखते हैं।

PunjabKesari Chhath Puja
तीसरे दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को देसी घी में प्रसाद तैयार करते हैं। इसके बाद फल, हल्दी, अदरक, नारियल, आंवला आदि को प्रसाद के रूप में कच्चे बांस की बड़ी डाली या पीतल की परात में रख कर गंगा, नदी, नहर या फिर तालाब के किनारे लेकर जाते हैं। इसमें एक कच्चे बांस की सुपेली (छोटा सूप) भी होता है, इसे लेकर व्रती पूरे परिवार के साथ अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने घाट की ओर चल पड़ते हैं। 

PunjabKesari Chhath Puja
सभी छठव्रती एक नियत तालाब या नदी किनारे इकट्ठा होकर सामूहिक रूप से अर्घ्य दान संपन्न करते हैं और सूर्यास्त के बाद घर लौटते हैं। चौथे दिन कार्तिक शुक्ल सप्तमी की सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। व्रती उसी जगह और उसी तरह के सामानों के साथ पुन: इकट्ठा होते हैं और उगते सूर्य को अर्घ्य देकर वापस लौटते हैं। इसके बाद पीपल के पेड़ को जल चढ़ाते हैं और व्रत का पारण करते हैं। पूरे व्रत के दौरान व्रती जमीन पर सोते हैं और सात्विक रहते हैं। महिलाएं नया वस्त्र यानी साड़ी और पुरुष पीली धोती पहनते हैं। यह व्रत स्त्री और पुरुष दोनों रखते हैं। 

PunjabKesari Chhath Puja
Offer Arghya at the time of sunset and sunrise सूर्यास्त और सूर्योदय के समय देते हैं अर्घ्य
छठ में सूर्य के साथ-साथ उनकी दोनों पत्नियों उषा और प्रत्यूषा की संयुक्त आराधना होती है। सायंकाल में सूर्य की अंतिम किरण (प्रत्यूषा) को और प्रात:काल में सूर्य की पहली किरण (ऊषा) को अर्घ्य देकर दोनों का नमन किया जाता है।

PunjabKesari Chhath Puja
7 नवंबर की शाम सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। जो सुबह से व्रत कर रहे होते हैं, वह निराहार और निर्जल रह कर षष्ठी मईया की पूजा करते हैं। भोग के लिए ठेकुआ बनाते हैं। शाम को सूर्य पूजा के उपरांत भी रात में व्रती निर्जल रहते हैं। चौथे दिन यानी सप्तमी तिथि (8 नवंबर) को सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत संपूर्ण होगा।

PunjabKesari Chhath Puja

Related Story

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!