Edited By Niyati Bhandari,Updated: 05 Nov, 2024 09:54 AM
Chhath Puja 2024: छठ पूजा चार दिवसीय उत्सव है। इसकी शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को तथा समाप्ति कार्तिक शुक्ल सप्तमी को होती है। इस दौरान व्रत करने वाले लगातार 36 घंटे का व्रत रखते हैं। इस दौरान वे अन्न तो क्या पानी भी नहीं ग्रहण करते है।
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Chhath Puja 2024: छठ पूजा चार दिवसीय उत्सव है। इसकी शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को तथा समाप्ति कार्तिक शुक्ल सप्तमी को होती है। इस दौरान व्रत करने वाले लगातार 36 घंटे का व्रत रखते हैं। इस दौरान वे अन्न तो क्या पानी भी नहीं ग्रहण करते है।
Nahay Khay पहला पड़ाव: नहाय खाय
पहला दिन कार्तिक शुक्ल चतुर्थी ‘नहाय-खाय’ के रूप में मनाया जाता है। सबसे पहले घर की सफाई कर उसे पवित्र बना लिया जाता है। इसके बाद छठव्रती स्नान कर पवित्र तरीके से बने शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण कर व्रत की शुरुआत करते हैं। घर के सभी सदस्य व्रत करने वाले के खाने के बाद ही खाना खाते हैं। भोजन के रूप में कद्दू-दाल और चावल ग्रहण किया जाता है। यह दाल चने की होती है।
History of Chhath Puja: छठ से जुड़ी हैं ये प्राचीन कथाएं, जानें कैसे हुई इस पर्व की शुरुआत
2nd day of Chhath puja is called Kharna दूसरा पड़ाव: खरना
दूसरे दिन कार्तिक शुक्ल पंचमी को व्रतधारी दिन भर का उपवास रखने के बाद शाम को भोजन करते हैं। इसे ‘खरना’ कहा जाता है। खरना का प्रसाद लेने के लिए आस-पास के सभी लोगों को निमंत्रित किया जाता है। प्रसाद के रूप में गन्ने के रस में बने हुए चावल की खीर के साथ दूध, चावल का पिट्ठा और घी चुपड़ी रोटी बनाई जाती है। इसमें नमक या चीनी का उपयोग नहीं किया जाता है। इस दौरान पूरे घर की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है।
3rd day of Chhath Puja Sandhya Arghya तीसरा पड़ाव: संध्या अर्घ्य (डूबते सूरज की पूजा करना)
तीसरे दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को दिन में छठ प्रसाद बनाया जाता है। प्रसाद के रूप में ठेकुआ, जिसे कुछ क्षेत्रों में टिकरी भी कहते हैं के अलावा चावल के लड्डू, जिसे लड़ुआ भी कहा जाता है, बनाते हैं। इसके अलावा चढ़ावा के रूप में लाया गया सांचा और फल भी छठ प्रसाद के रूप में शामिल होता है।
शाम को पूरी तैयारी और व्यवस्था कर बांस की टोकरी में अर्घ्य का सूप सजाया जाता है और व्रत रखने वाले के साथ परिवार तथा पड़ोस के सारे लोग पैदल ही सूर्य को अर्घ्य देने घाट की ओर चल पड़ते हैं। सभी छठ का व्रत रखने वाले एक तालाब या नदी किनारे इकट्ठा होकर सामूहिक रूप से अर्घ्य दान संपन्न करते हैं। सूर्य को जल और दूध का अर्घ्य दिया जाता है तथा छठी मैया की प्रसाद भरे सूप से पूजा की जाती है। इस दौरान कुछ घंटे के लिए मेले का दृश्य बन जाता है।
4th day of Chhath Puja Usha Argh and Paran- चौथा पड़ाव: सुबह का अर्घ्य (उगते सूरज की पूजा करना)
चौथे दिन कार्तिक शुक्ल सप्तमी की सुबह उगते सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है। व्रत रखने वाले फिर वहीं इक्ट्ठा होते हैं जहां उन्होंने शाम को अर्घ्य दिया था। फिर पिछले शाम की प्रक्रिया की दोहराई जाती है। अंत में कच्चे दूध का शरबत पीकर तथा थोड़ा प्रसाद खाकर व्रत पूरा करते हैं।