Edited By Niyati Bhandari,Updated: 17 Nov, 2023 06:23 AM
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छठ पूजा का महापर्व 17 नवंबर को मनाया जाएगा।नहाय खाय की परंपरा के साथ शुरू होने वाले इस त्यौहार में भगवान सूर्य की अराधना का विधान है। इस पर्व में न केवल उगते सूर्य की
Chhath Puja 2023: छठ पूजा का महापर्व आज 17 नवंबर को मनाया जाएगा। नहाय खाय की परंपरा के साथ शुरू होने वाले इस त्यौहार में भगवान सूर्य की अराधना का विधान है। इस पर्व में न केवल उगते सूर्य की पूजा होती है बल्कि डूबते सूर्य को भी अर्घ्य देने का विधान है। ये व्रत बहुत कठिन होता है और नियमों का खास तौर पर ध्यान रखा जाता है। छठ पूजा का आरंभ शुरुआत रवियोग से हुआ था। भगवान सूर्य नारायण को अर्घ्य द्विपुष्कर योग में दिया जाएगा। जिन लोगों को स्वस्थ्य और संतान से संबंधित समस्याएं चल रही हैं, वह सूर्यदेव को प्रसन्न कर महालाभ पा सकते हैं।
Chhath vrat: सूर्य षष्टी: शास्त्रों के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्टी तिथि के दिन सूर्य उपासना का विधान दिया गया है। शास्त्रों में षष्ठी तिथि को उपवास करने का विधान है। इस दिन सूर्य प्रतिमा की पूजा भी करनी चाहिए। यह व्रत एक वर्ष तक करना चाहिए। प्रत्येक मास में आदित्य के विभिन्न नाम का जाप करना चाहिए। इस दिन विधिवत सूर्य का पूजन करना चाहिए तथा एक समय का नमक रहित भोजन करना चाहिए।
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Chhath Puja vidhi and upay- पूजन विधि और उपाय: इस दिन प्रातःकाल सूर्योदय से पहले उठ जाएं। नित्यकर्म से निवृत होकर घर की पूर्व दिशा में लाल कपड़ा बिछाएं। रक्तचन्दनादि से मण्डल बनाएं। तांबे के कलश पानी, लाल चन्दन, चावल, लाल फूल, कुशा और अशोक के पाते डालकर इस कलश पर सूर्यदेव की प्रतिमा को स्थापित करें। सूर्य प्रतिमा पर धूप, दीप, पुष्प, रोली और गुड़ का भोग चढ़ाएं। बाएं हाथ में जायफल लेकर दाएं हाथ से लाल चंदन की माला से इस मंत्र का सामर्थ्यानुसार जाप करें।
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Surya mantra- मंत्र: ॐ ह्रीं घृणि सूर्य आदित्य: श्रीं ह्रीं मह्यं लक्ष्मीं प्रयच्छ।
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जाप पूरा होने के बाद तांबे के कलश में पानी शक्कर रोली अक्षत से सूर्य को अर्ध दें। इस उपाय से प्रसन्न होकर सूर्यदेव आयु, आरोग्य, धन-धान्य, यश, विद्या, सौभाग्य, मुक्ति सब कुछ प्रदान करते हैं।
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