Edited By Niyati Bhandari,Updated: 19 Nov, 2020 07:25 AM
सूर्य की उपासना का पर्व छठ पूजा कल 18 नवंबर, बुधवार को नहाय खाय के साथ प्रारंभ हो गया। व्रतधारियों ने नहाय खाय के दिन देशी घी में बनी लौकी की सब्जी, दाल व चावल खाकर शुरू किया।
नई दिल्ली (नवोदय टाइम्स): सूर्य की उपासना का पर्व छठ पूजा कल 18 नवंबर, बुधवार को नहाय खाय के साथ प्रारंभ हो गया। व्रतधारियों ने नहाय खाय के दिन देशी घी में बनी लौकी की सब्जी, दाल व चावल खाकर शुरू किया। वहीं आज यानि गुरुवार को खरना है। इस दिन व्रतधारी गुड़ की खीर, पुड़ी व फल सिर्फ एक समय खाते हैं।
Chhath Puja Kharna Vidhi 2020: बता दें कि खरना का छठ पर्व के दौरान विशेष महत्व होता है। खरना कार्तिक मास की पंचमी के दिन नहाय खाय के बाद किया जाता है, जिसे लोहंडा भी कहते हैं। समझ लीजिए कि खरना व्रत को रखने से पूर्व की तैयारी है और शरीर को व्रत के लिए तैयार करने का एक उपाय है। इस दिन पूरे दिन व्रती निर्जल व्रत रखकर रात को छठी मईया के लिए घर में बनाए गए निश्चित स्थान या फिर पूजा घर में हवन कर खीर का प्रसाद ग्रहण करते हैं जोकि गुड़ से बनी होती है। इस दौरान रोटी या पुड़ी व मौसमी फल भी खाया जा सकता है।
lohanda: सही मायने में खरना का शुद्धिकरण होता है, जिसमें व्रतधारी अपने तन-मन को शुद्ध करता है, इसीलिए पूरे दिन व्रत कर सिर्फ रात को ही भोजन ग्रहण किया जाता है वो भी छठ मईया को भोग लगाने के बाद। खरना के बाद 36 घंटे तक व्रतधारी निर्जल छठी मईया की उपासना करता है।
Chhath, Kharna today घर में ही करेंगे लोग व्रत
कोरोना के चलते व्रतधारियों को इस साल काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सामूहिक किया जाने वाला व्रत इस बार घर की चारदीवारी के भीतर ही किया जाएगा। जिसके लिए लोग बॉथ टब खरीद रहे हैं, ताकि सूर्यदेव को अर्ध्य दे सकें। कुछ लोगों ने छत व बालकनियों में इसकी विशेष तैयारियां की हैं।
शांति होने पर ही व्रतधारी खाते हैं खरना का प्रसाद
खरना के प्रसाद को व्रतधारी जब छठी मईया को भोग लगाकर उसका सेवन करते हैं तो उस समय घर के अन्य सदस्य शांत रहते हैं। किसी प्रकार का शोर-शराबा पूर्ण रूप से निषेध होता है क्योंकि यदि शोर हुआ तो व्रतधारी को अपना प्रसाद छोड़कर उठना पड़ता है, चाहे उसने एक ही कौर प्रसाद ग्रहण किया हो। वहीं व्रतधारी के बाद ही परिवार के अन्य लोगों को प्रसाद दिया जाता है।
व्रतधारियों को बांटा टब ताकि ना हो असुविधा
राजधानी में पूर्वांचल के बड़े नेताओं में शुमार पूर्व सांसद महाबल मिश्रा ने बुधवार सुबह व्रतधारियों को टब वितरित किया। उन्होंने कहा कि हर साल यमुना व कॉलोनियों में बने छठ घाटों पर धूमधाम से मनाए जाने वाले इस त्योहार का रूप इस बार कोरोना के चलते छोटा हो गया है लेकिन परंपराएं अधूरी ना रहें इसलिए टब का वितरण किया है, ताकि लोग अपने-अपने घरों में सूर्यदेव को अर्ध्य दे सकें।
खरना के प्रसाद में चूल्हे में जलाई जाती है आम की लकड़ी
खरना के दिन बनाए जाने वाले प्रसाद के लिए गांव में लोग नया चूल्हा रसोई में बनाते हैं लेकिन शहरों में नया चूल्हा खरीदते हैं या फिर विशेष रूप से चूल्हें को अलग रखते हैं, जिस पर लहसुन-प्याज या फिर मांसाहारी भोजन नहीं पकाया जाता। मिट्टी के चूल्हें में आम की लकड़ी का प्रयोग कर प्रसाद बनाया जाता है।