Edited By Niyati Bhandari,Updated: 06 Nov, 2024 07:43 AM
Chhath Puja 2024 Vrat Katha: वैदिक काल से ही मनुष्य उन सभी चीजों को पूजता आया है जिन्होंने उसके जीवन में अनुकूल प्रभाव डाला है तथा जिनसे दैनिक जीवन में उसे लाभ मिलता रहा हो, फिर चाहे वह नदी हो, वृक्ष, पर्वत, पहाड़, चंद्रमा या सूरज ही क्यों न हो। ये...
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Chhath Puja 2024 Vrat Katha: वैदिक काल से ही मनुष्य उन सभी चीजों को पूजता आया है जिन्होंने उसके जीवन में अनुकूल प्रभाव डाला है तथा जिनसे दैनिक जीवन में उसे लाभ मिलता रहा हो, फिर चाहे वह नदी हो, वृक्ष, पर्वत, पहाड़, चंद्रमा या सूरज ही क्यों न हो। ये सभी सदैव मनुष्य की श्रद्धा के प्रतीक रहे हैं तथा पूजनीय भी रहे हैं। वैदिक काल से ही आर्य सूर्य को जगत आत्मा मानते रहे हैं। इसमें आज भी कोई संदेह नहीं कि सूर्य के बिना हम पृथ्वी पर जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। अत: कहने में अतिशयोक्ति नहीं कि वैदिक काल से ही भारत में सूर्य उपासना का प्रचलन रहा है।
Chhath Puja 2024 Katha: सूर्य की उपासना की चर्चा भागवत पुराण, विष्णु पुराण तथा ब्रह्मवैवर्त पुराण में भी मिलती है। छठ पूजा की शुरूआत तकरीबन मध्यकाल से मानी जाती है लेकिन विगत दो दशक से इसका प्रचलन बहुत तीव्र गति से बढ़ा है। यूं तो हिन्दुओं के अनेकानेक पर्व में से छठ भी एक आस्था से जुड़ा पर्व है किंतु भले ही प्रतिशत काफी कम हो लेकिन कुछ मुस्लिम वर्ग के लोग भी छठ पर्व बहुत आस्था से मना रहे हैं जिसने इस पर्व की गरिमा को बहुत बढ़ाया है।
Chhath mata ki katha: छठ पर्व के मनाने के पीछे अनेक लोक कथाएं प्रचलित हैं उनमें से सबसे प्रचलित कथा का संबंध महाभारत की कथा से है। कहते हैं कि जब पांडव जुए में सारा राजपाट हार गए, तब द्रौपदी ने यह व्रत रखा था। तब उनकी मनोकामना पूर्ण हुई और पांडवों को सारा राजपाट वापस प्राप्त हो गया।
Chhathi maiya ki kahani: दूसरी कथा रामायण से जुड़ी है। कहते हैं कि रावण विजय के बाद अयोध्या वापसी के पश्चात रामराज स्थापना वाले दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी को भगवान राम तथा सीता जी ने सूर्य देवता की पूजा-अर्चना की तथा उपवास रखा था। तब से ही छठ व्रत मनाने की प्रथा है।