Edited By Jyoti,Updated: 07 Jul, 2019 11:25 AM
आज रविवार, 7 जुलाई, 2019 गुप्त नवरात्रि के पांचवें दिन मां छिन्नमस्ता की पूजा की जाएगी। कुछ मान्यताओं के अनुसार श्री छिन्नमस्तिका को दस महाविद्याओं में से छठी महाविद्या कहा जाता है।
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आज रविवार, 7 जुलाई, 2019 गुप्त नवरात्रि के पांचवें दिन मां छिन्नमस्ता की पूजा की जाएगी। कुछ मान्यताओं के अनुसार मां छिन्नमस्तिका को दस महाविद्याओं में से छठी महाविद्या भी कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार छिन्नमस्ता का अर्थ है छिन्न मस्तक वाली देवी। इनकी गणना काली कुल में की जाती है। इनका संबंध महाप्रलय से है। कहा जाता है महाप्रलय का ज्ञान कराने वाली यह महाविद्या देवी भगवती का रौद्र रूप हैं। कालीतंत्र के अनुसार एक समय देवी पार्वती अपनी सहचरी जया व विजया के साथ श्री मन्दाकिनी नदी में स्नान करने गई वहां कामाग्नि से पीड़ित वह कृष्णवर्ण की हो गई उसके बाद जया व विजया ने उनसे भोजन मांगा क्योंकि वे बहुत भूखी थी। देवी ने उन्हें प्रतीक्षा करने को कहा परंतु सहचरियों ने बार-बार देवी से भोजन की याचना की। फिर देवी ने अपनी कटार से अपना सिर छेदन कर दिया, छिन्न सिर देवी के बाएं हाथ पर आ गिरा, उनके कबन्ध से रक्त की तीन धाराएं निकलीं। दो धाराएं उनकी सहचरी डाकिनी और वर्णिनी के मुख में गई औक तीसरी धारा का छिन्न शिर से स्वयं पान करने लगी।
हिमाचल की वादियों में बसा चितंपूर्णी धाम में श्री छिन्नमस्ता का पीठ ही "चिन्तपूर्णी" नाम से विख्यात है। कहा जाता है इनके स्मरण मात्र से पुत्र, धन, कवित्व, दीर्घ पाण्डित्य आदि ऐहिक विषयों की प्राप्ति होती है।
उपाय-
प्रदोषकाल यानि शाम के समय में पूजा घर में दक्षिण-पश्चिम मुखी होकर नीले रंग के आसन पर बैठकर अपने सामने लकड़ी के पट्टे पर नीला वस्त्र बिछाएं फिर उस पर छिन्नमस्ता यंत्र स्थापित करें। फिर दाएं हाथ में जल लेकर संकल्प करें तत्पश्चात हाथ जोड़कर छिन्नमस्ता देवी का ध्यान करें।
ध्यान मंत्र-
प्रचण्ड चण्डिकां वक्ष्ये सर्वकाम फलप्रदाम्।
यस्या: स्मरण मात्रेण सदाशिवो भवेन्नर:।।
देवी छिन्नमस्ता को अर्पित करें ये खास चीज़ें-
सरसों के तेल में नील मिलाकर दीपक करें।
देवी पर नीले फूल (मन्दाकिनी अथवा सदाबहार) चढ़ाएं। सुरमे से देवी का तिलक करें।
उड़द से बने मिष्ठान का भोग लगाएं।
बाएं हाथ में काले नमक की डली लेकर दाएं हाथ से काले हकीक अथवा अष्टमुखी रुद्राक्ष माला अथवा लाजवर्त की माला से देवी के इस अदभूत मंत्र का जाप करें।
मंत्र- श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्र वैरोचनीयै हूं हूं फट स्वाहा: ।।
जाप पूरा होने के बाद नमक की डली को बरगद के पेड़ के नीचे गाड़ दें और बाकि की बची हुई सामग्री को जल प्रवाह कर दें।
कहा जाता है इससे शत्रुओं का तुरंत नाश होता है, रोज़गार में सफलता मिलती है, नौकरी में प्रमोशन मिलती है और कोर्ट कचहरी वाद-विवाद व मुकदमों में निश्चित सफलता मिलती है।