Chinnamasta Jayanti: आईए जानें, मां के अजब-गजब स्वरूप की कथा

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 10 May, 2025 07:13 AM

chinnamasta jayanti in this direction do worship

Maa Chinnamasta Jayanti 2025: 11 मई, रविवार को दश महाविद्याओं में से छठी महाविद्या श्री छिन्नमस्तिका जी की जयंती है। छिन्नमस्ता का अर्थ है छिन्न मस्तक वाली देवी। छिन्नमस्ता की गणना काली कुल में की जाती है। छिन्नमस्ता महाविद्या का संबंध महाप्रलय से...

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Maa Chinnamasta Jayanti 2025: 11 मई, रविवार को दश महाविद्याओं में से छठी महाविद्या श्री छिन्नमस्तिका जी की जयंती है। छिन्नमस्ता का अर्थ है छिन्न मस्तक वाली देवी। छिन्नमस्ता की गणना काली कुल में की जाती है। छिन्नमस्ता महाविद्या का संबंध महाप्रलय से है। महाप्रलय का ज्ञान कराने वाली यह महाविद्या भगवती का ही रौद्र रूप हैं।
 
PunjabKesari Maa Chinnamasta Jayanti 2020
कालितंत्रम् के अनुसार एक समय में देवी पार्वती अपनी सहचरी जया व विजया के साथ श्री मन्दाकिनी नदी में स्नान करने गई वहां कामाग्नि से पीड़ित वह कृष्णवर्ण की हो गई तदुपरांत जया व विजया ने उनसे भोजन मांगा क्योंकि वे बहुत भूखी थी, देवी ने उन्हें प्रतीक्षा करने को कहा परंतु सहचरियों ने बार-बार देवी से भोजन की याचना की।
 
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फिर देवी ने अपनी कटार से अपना सिर छेदन कर दिया, छिन्न सिर देवी के बाएं हाथ पर आ गिरा, उनके कबन्ध से रक्त की तीन धाराएं निकली। दो धाराएं उनकी सहचरी डाकिनी और वर्णिनी के मुख में गई तथा तीसरी धारा का छिन्न शिर से स्वयं पान करने लगी।
 
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महर्षि याज्ञवल्क्य और परशुराम इस विद्या के उपासक थे। श्री मत्स्येन्द्र नाथ व गोरखनाथ भी इसी के उपासक रहे हैं। दैत्य हिरण्यकश्यप व वैरोचन भी इस शक्ति के एक निष्ठ साधक थे। अत: इन शक्ति को ‘वज्रवैरोचनीय भी कहते हैं। "वैरोचनीया कर्मफलेषु जुष्टाम्" तथागत बुद्ध भी इसी शक्ति के उपासक थे।
 
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श्री छिन्नमस्ता का पीठ "चिन्तपूर्णी" नाम से विख्यात है। जिनके स्मरण मात्र से ही नर सदा शिव हो जाता है तथा पुत्र, धन, कवित्व, दीर्घ पाण्डित्य आदि ऐहिक विषयों की प्राप्ति होती है।
 
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मार्केंड्य पुराण में बताई गई एक कथा के अनुसार, जब मां चंडी ने राक्षसों को घोर संग्राम में पराजित कर दिया तब उनकी दो योगिनियां जया और विजया युद्ध समाप्त होने के बाद भी रक्त की प्यासी थी।
 
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उन्होंने मां से अग्रह किया की वो दोनों अभी भी बहुत भूखी हैं। मां ने उनकी भूख को शांत करने के लिए अपना सिर काट लिया और अपने खून से उन दोनों की प्यास बुझाई। तभी तो मां अपने काटे हुए सिर को अपने हाथो में पकड़े दिखाई देती हैं।
 
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उनकी गर्दन की धमनियों से निकल रही रक्त की धाराएं  उनके दोनों तरफ खड़ी दो नग्न योगिनियां पी रही होती हैं।
 
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छिन्नमस्ता का अर्थ है बिना सिर वाली देवी यानि एक लौकिक शक्ति। जो ईमानदार और समर्पित योगियों को उनका मन भंग करने में सहायता करती हैं।
 
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