Edited By Prachi Sharma,Updated: 22 Sep, 2024 11:28 AM
राजधानी दिल्ली कई मायनों में खास है। यहां घूमने के लिए कई ऐसी जगहें हैं, जिनसे अभी भी दिल्ली वाले अनजान हैं। आज हम जिस जगह की बात कर रहे हैं, वह 700 से भी ज्यादा वर्ष पुरानी है। इस
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Chor Minar: राजधानी दिल्ली कई मायनों में खास है। यहां घूमने के लिए कई ऐसी जगहें हैं, जिनसे अभी भी दिल्ली वाले अनजान हैं। आज हम जिस जगह की बात कर रहे हैं, वह 700 से भी ज्यादा वर्ष पुरानी है। इस जगह को जो लोग जानते या जिन्होंने देखा है, इसे भूतिया मानते हैं। हम बात कर रहे हैं दिल्ली की चोर मीनार की। इसका इतिहास अपने आप में कई साल पुराना है। जिन्हें इस मीनार के बारे में पता है, वे इसे देखने के लिए दूर-दूर से आते हैं।
यह दिल्ली का एक टूरिस्ट आकर्षण भी है। इस जगह को भूतिया माना जाता है और कहते हैं कि यहां आसपास नैगेटिव ऊर्जा है, टूरिस्ट मीनार को बाहर से ही देखते हैं और इसके भीतर प्रवेश की मनाही है।
चोर मीनार दिल्ली के हौज खास क्षेत्र के औरंगजेब मार्ग पर है और माना जाता है कि यह 13वीं शताब्दी में बनाई गई थी। इस मीनार को खिलजी राजवंश के शासक अलाउद्दीन खिलजी (1296-1316) के शासनकाल में बनवाया गया था। इस मीनार में 700 साल पुरानी खौफ की कहानियां लिखी हुई हैं। मीनार का निर्माण गुनहगारों को सजा देने के लिए किया गया था और इस मीनार के भीतर अपराधियों को ऐसी सजाएं दी जाती थीं, जिसे सुनकर रूह कांप जाए।
खिलजी की क्रूरता को दर्शाती है मीनार
चोर मीनार भले ही आज बिल्कुल न डराती हो, मगर एक समय था, जब यह खिलजी की क्रूरता की दास्तां बयां करती थी। अलाउद्दीन खिलजी की क्रूरता, सख्ती और गुनहगारों को कड़ी सजा देने के किस्से उस समय आम हो चले थे। जब लोग इस मीनार को देखते ही कांप उठते थे।
मीनार में बने 225 सुराखों का राज
इस मीनार की गोलाई में करीब 225 सुराख बनाए गए थे। अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल में इन्हीं सुराखों के जरिए अपराधियों को सजा दी जाती थी। खिलजी अपने खिलाफ उठने वाली हर आवाज को यहीं दबाता था। अपराधियों के सिर काटकर चोर मीनार की दीवारों में बने 225 सुराखों से लटका दिए जाते थे। इससे जनता में खिलजी का डर बना रहता था। ऐसा भी कहा जाता है कि अलाउद्दीन ने चोर मीनार का निर्माण मुख्य रूप से मंगोल आक्रमणकारियों को सजा देने के लिए करवाया था। अलाउद्दीन खिलजी अपने चाचा की हत्या करने के बाद दिल्ली के तख्त पर बैठा था। उसने अपने भतीजे को भी नहीं बख्शा और उसकी आंखें निकलवाकर, सिर कटवाकर चोर मीनार पर टंगवा दिया था।
दरअसल, अलाउद्दीन खिलजी को मंगोल आक्रमणकारियों से काफी जूझना पड़ा था और उन्होंने खिलजी के कई हमलों को विफल कर दिया था, जिसके बाद 8 हजार से ज्यादा मंगोल कैदियों को मार डाला गया था और उनके सिरों को काटकर इस मीनार पर लटका दिया गया था।