Chowari : नाग भूमि के नाम से प्रसिद्ध है चुवाड़ी, पढ़ें गजब का इतिहास

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 01 Mar, 2025 09:09 AM

chowari is famous as naag bhoomi

Chowari : हिमाचल प्रदेश को देवभूमि कहा जाता है क्योंकि यहां आपको हर कोने में किसी न किसी देवता का वास देखने को मिलेगा। हिमाचल प्रदेश के हर जिले में किसी न किसी विशेष स्थान पर हर देवता की अलग-अलग संस्कृति के अनुसार पूजा की जाती है। चुवाड़ी को नाग...

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Chowari : हिमाचल प्रदेश को देवभूमि कहा जाता है क्योंकि यहां आपको हर कोने में किसी न किसी देवता का वास देखने को मिलेगा। हिमाचल प्रदेश के हर जिले में किसी न किसी विशेष स्थान पर हर देवता की अलग-अलग संस्कृति के अनुसार पूजा की जाती है। चुवाड़ी को नाग भूमि कहा जाता है क्योंकि यहां हर कोने में नाग देवता का वास देखने को मिलता है। यहां हम बात कर रहे हैं चुवाड़ी के आसपास बने नाग मंदिरों की। चुवाड़ी के मध्य में नाग मढ़ौर व उसके सामने वाली पहाड़ी पर नाग विन्तरू महाराज का मंदिर है। साथ ही जोत की दूसरी तरफ खज्जी नाग का मंदिर खज्जियार में है। साथ में समोट के साथ लगती पहाड़ी में नाग छतरार का मंदिर है।

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पौराणिक कथा के अनुसार ये सभी नाग भाई थे। एक बार खेलते समय सभी को प्यास लगी। सबसे बड़े भाई खज्जी द्वारा सभी को पानी लाने के लिए भेजा जाता है लेकिन जहां उनको पानी मिलता है, उस जगह पर ही वे निवास कर जाते हैं। वहीं खज्जी खज्जियार में रुक जाते हैं।

आज सभी जगह मंदिर बना दिए गए हैं। आज सभी नाग देवता जिस जगह बसे हैं, उस जगह लोगों के रक्षा व दुख दूर कर रहे हैं। नाग मढ़ौर देवता की बात करें तो चुवाड़ी के आसपास के लोग जिसमें केंथली व जंगला गांव के लोग बारिश के लिए नाग मंदिर में पूरी रात कीर्तन करते हैं।

सितम्बर महीने में नाग मंदिर में जातर का आयोजन होता है, जिसमें नाग देवता के पुजारी 7 दिन जातर का आयोजन करते हैं, जिसमें उनके भाई नाग विन्तरू को बुलाया जाता है, जिसमें कि नाग विन्तरू से होते हुए बनेट के रास्ते से आकर नाग मढ़ौर में अपने भाई के साथ मिलते हैं। वहां से वह अपने क्षेत्र के लोगों को सुख का आशीर्वाद देते हैं। 

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नाग विन्तरू में जहां नाग विन्तरू देवता का मंदिर है, वह स्थान काफी मनमोहक व सुंदर है। यहां पर एक मंदिर के साथ ही एक छोटी-सी सुरंग है, जिसमें लोग अपने दुख-दर्द में देवता का पूजन करते हैं। उस स्थान पर चुवाड़ी से गगाहर स्थान तक बस या अपनी गाड़ी के माध्यम से पहुंच सकते हैं, उसके बाद ऊपर की ओर 8 किलोमीटर तक पैदल रास्ता है।

नाग सुंडल देवता का मंदिर जोत से 12 किलोमीटर है, जिसमें पैदल रास्ता 4 किलोमीटर का है। यह स्थान बहुत सुंदर है। स्थानीय लोगों के द्वारा छिंज मेले का आयोजन हर वर्ष होता है और नाग पंचमी पर नाग देवता की पूजा की जाती है। नाग छतरार समोट से सटी पंचायत सुरपडा में है, जिसमें इस स्थान तक जाने के लिए आप तला गांव तक छोटी गाड़ी के माध्यम से पहुंच सकते हैं। इसके बाद आप पैदल रास्ते से मंदिर पहुंच सकते हैं।  

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