Churu Fort: दुनिया का एकमात्र किला, बारूद खत्म हो गया तो दुश्मन पर तोप से दाग दिए थे चांदी के गोले

Edited By Prachi Sharma,Updated: 10 Aug, 2024 09:45 AM

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प्राचीनकाल में दुश्मन से अपने राज्य या किले की रक्षा के लिए राजा क्या कुछ नहीं करते थे। यहां तक कि इनकी रक्षा के मामले में सोने-चांदी, हीरे-जवाहरात की भी कोई कीमत

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प्राचीनकाल में दुश्मन से अपने राज्य या किले की रक्षा के लिए राजा क्या कुछ नहीं करते थे। यहां तक कि इनकी रक्षा के मामले में सोने-चांदी, हीरे-जवाहरात की भी कोई कीमत नहीं समझी जाती थी।

आपको एक ऐसे ही एतिहासिक किले के बारे में बताने जा रहे हैं, जो इतिहास के पन्नों में अमर है, क्योंकि इस किले में जो घटना घटी थी, वह न तो दुनिया में कहीं घटी है और न कभी घटेगी। इसी घटना की वजह से इस किले का नाम विश्व इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा गया है।

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चूरू का किला
हम जिस किले की बात कर रहे हैं, उसे चूरू किले के नाम से जाना जाता है। यह किला राजस्थान के चूरू जिले में है। इस किले को ठाकुर कुशल सिंह ने वर्ष 1694 में बनवाया था। इसको बनवाने के पीछे का मकसद आत्मरक्षा के साथ-साथ राज्य के लोगों को सुरक्षा प्रदान करना भी था।

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कब घटी थी यह घटना
यह दुनिया का एकमात्र ऐसा किला है जहां युद्ध के समय जब गोला-बारूद खत्म हो गया था तो दुश्मनों पर तोप से चांदी के गोले दागे गए थे। वर्ष 1814 में घटी यह ऐतिहासिक घटना बेहद ही हैरान कर देने वाली थी। उस समय इस किले पर ठाकुर शिवजी सिंह राज करते थे, जो ठाकुर कुशल सिंह के वंशज थे।

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प्रजा का था पूरा समर्थन
इतिहासकार बताते हैं कि ठाकुर शिवजी सिंह
की सेना में 200 पैदल और 200 घुड़सवार सैनिक थे लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि जब युद्ध होता था तो सेना की संख्या अचानक से बढ़ जाती थी। दरअसल, यहां के लोग अपने राजा के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहते थे। इसीलिए जब भी युद्ध होता तो ये लोग एक सैनिक की तरह दुश्मनों से लड़ते थे। इतना ही नहीं, अपने राजा और राज्य की रक्षा के लिए यहां के लोग अपनी धन-दौलत तक लुटा देते थे।

तोप से दागे थे चांदी के गोले
साल 1814 में अगस्त के महीने में बीकानेर रियासत के राजा सूरत सिंह ने अपनी सेना के साथ चूरू किले पर हमला बोल दिया। ठाकुर शिवजी सिंह ने अपनी सेना के साथ उनका डटकर मुकाबला किया, लेकिन युद्ध के कुछ ही दिनों बाद उनका गोला-बारूद खत्म हो गया, जिससे राजा चिंतित हो गए। लेकिन वहां की प्रजा ने अपने राजा का पूरा साथ दिया और अपना सोने-चांदी सब राज्य की रक्षा के लिए न्यौछावर कर दिए। इसके बाद ठाकुर शिवजी सिंह ने अपने सैनिकों को दुश्मनों पर तोप से चांदी के गोले दागने का आदेश दिया। अंत में यह हुआ कि दुश्मन की सेना ने हार मान ली और वहां से भाग खड़ी हुई।  
 
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