Edited By Niyati Bhandari,Updated: 17 Dec, 2024 01:53 PM
पन्ना हीरे की खदानों के साथ ही बड़े-बड़े कलात्मक मंदिरों, शेर अभ्यारण्य, जलप्रपात और प्रनामी परमधाम, पुरातत्व संग्रहालय, किला, जगन्नाथ रथयात्रा, खूबसूरत नजारों के लिए प्रसिद्ध है। पन्ना भारतीय राज्य मध्य प्रदेश का एक जिला है।
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पन्ना हीरे की खदानों के साथ ही बड़े-बड़े कलात्मक मंदिरों, शेर अभ्यारण्य, जलप्रपात और प्रनामी परमधाम, पुरातत्व संग्रहालय, किला, जगन्नाथ रथयात्रा, खूबसूरत नजारों के लिए प्रसिद्ध है। पन्ना भारतीय राज्य मध्य प्रदेश का एक जिला है। पन्ना जिला सागर संभाग के अन्तर्गत आता है। पन्ना में हीरों की खान है, साथ ही यह स्थान प्राचीन एवं सुन्दर मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। इसी कारण इसे ‘मंदिरों की नगरी’ भी कहा जाता है। यहां पर स्थित संत प्राणनाथ और श्री बलदेव जी के मंदिर तीर्थगणों के बीच प्रसिद्ध हैं। पन्ना राष्ट्रीय उद्यान भी है, जहां टाइगर रिजर्व और कई दुर्लभ वन्य जीव पाए जाते हैं।
13वीं सदी तक गोंड निवासियों के मूल इलाके पन्ना को राजा छत्रसाल बुंदेला द्वारा राजधानी बनाया गया था। पन्ना का 1 नवम्बर, 1956 को मध्य प्रदेश में विलय किया गया जो विंध्य क्षेत्र के नए भारतीय राज्य का एक हिस्सा था। यहां के जुगल किशोर मंदिर में 11 तोपों की सलामी के साथ भगवान श्रीकृष्ण (मुरलीमनोहर) का जन्मोत्सव मनाया जाता है। कहा जाता है कि कारागार में देवकी की कोख से जन्म लेते हैं तो विष्णुस्वरूप वैकुंठवासी कृष्ण होते हैं और फिर ब्रज तक पहुंचते समय गोकुलवासी कहलाते हैं और जब वह अपनी बाल लीलाएं दिखाकर मां को रिझाते-चिढ़ाते हैं तथा फिर दुष्टों का निहत्थे संहार करते हैं तो पूर्ण ब्रह्मस्वरूप हो जाते हैं।
बुंदेलखंड की रियासत के रूप में इस नगर को बुंदेला नरेश छत्रसाल ने औरंगजेब की मृत्यु (1707 ई.) के पश्चात अपने राज्य की राजधानी बनाया। मुगल सम्राट बहादुरशाह ने 1708 ई. में छत्रसाल की सत्ता को मान लिया। बुंदेलखंड के प्रसिद्ध श्री जुगल किशोर मंदिर में देश की इकलौती भगवान श्रीकृष्ण की अष्टसिद्ध शालिग्राम की मूर्ति है।
मंदिर का निर्माण-इतिहास
यह पुराणेतिहासिक नगर है जिसका उल्लेख विष्णु पुराण और पद्यपुराण में किलकिल प्रदेश के नाम से आता है, जो वाकटक वंश का उत्पत्ति स्थल है। नागवंश की कुलदेवी पद्मावती किलकिला नदी के किनारे पर विराज रही हैं। इस कारण इसका नाम पद्मा और बाद में परना झिरना और पन्ना हुआ।
आस्था के केंद्र पन्ना के जुगल किशोर मंदिर का निर्माण सन् 1813 में तत्कालीन पन्ना नरेश हिन्दूपत द्वारा करवाया गया था, जहां गर्भगृह में प्रतिष्ठित श्री कृष्ण-राधा की युगल जोड़ी के दर्शन करने दूर-दूर से प्रतिदिन सैंकड़ों श्रद्धालु पहुंचते हैं। राधाकृष्ण की यह युगल जोड़ी ओरछा राज्य से होती हुई यहां आई थी।
भगवान जुगल किशोर की मूर्ति हरिराम व्यास को वि. संवत 1620 की माघ शुक्ल एकादशी को वृंदावन के किशोरवन नामक स्थान पर मिली। व्यास जी ने प्रतिमा को उसी स्थान पर प्रतिष्ठित किया। बाद में ओरछा के राजा मधुकर शाह ने किशोरवन के पास मंदिर बनवाया। इस मंदिर में भगवान श्री जुगल किशोर जी अनेक वर्षों तक विराजे, पर मुगलिया हमले के समय उनके भक्त उन्हें ओरछा के पास पन्ना ले गए। आज भी ठाकुर जी पन्ना के पुराने जुगल किशोर मंदिर में दर्शन दे रहे हैं।
आध्यात्मिक राजधानी
1675 में बुंदेलखंड के शासक छत्रसाल द्वारा उनके आध्यात्मिक गुरु स्वामी प्राणनाथ के आदेश पर इसे राजधानी बनाए जाने के कारण इस शहर का महत्व बढ़ गया।
महाभारत कालीन विराट नगर की पहचान यहां के बरहटा से की जाती है। ऐसी मान्यता है कि अमावस्या के दिन यहां जुगल किशोर सरकार से मांगने पर हर मनोकामना पूरी होती है।
कुछ अन्य पर्यटन स्थल
पन्ना राष्ट्रीय उद्यान
पन्ना राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश का एक प्रमुख पर्यटन आकर्षण है। यह केन नदी के किनारे स्थित है। इसमें राष्ट्रीय पशु बाघ देखने को मिलता है। उद्यान में खूबसूरत जंगल और घाटियों का लुत्फ उठाया जा सकता है। यहां पर आप सफारी का मजा ले सकते हैं।
पांडव गुफा एवं झरना पन्ना
पांडव गुफा एवं झरना पन्ना शहर का एक मुख्य प्राकृतिक पर्यटन स्थल है। यहां पर आपको एक सुंदर झरना देखने के लिए मिलता है, जो पहाड़ों से एक कुंड में गिरता है। यहां पर गुफा भी आपको देखने के लिए मिलती है, जिसमें प्राचीन समय में पांडव लोगों ने निवास किया था और शिव भगवान जी की पूजा की थी। इस जगह में पहाड़ों से पानी रिसता रहता है।
अनंत श्री प्राणनाथ जी मंदिर
बहुत बड़े क्षेत्र में फैले इस सुंदर मंदिर को पद्मावती पुरी धाम के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर में जाने के लिए एक संकरी सड़क है। मंदिर में आपको श्री प्राणनाथ जी की समाधि देखने के लिए मिलती है और यहां पर संग्रहालय भी है। यह मंदिर मुख्य शहर में स्थित है।
श्री बलदेव जी मंदिर
मंदिर में आपको श्री कृष्ण जी की भव्य प्रतिमा देखने को मिलती है, जो काले रंग की है और बहुत सुंदर लगती है। इस मंदिर की वास्तुकला बहुत ही खूबसूरत है।