Compound Wall से दें घर को सुरक्षा कवच, बुरी बलाएं जाएंगी भाग

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 07 Nov, 2022 11:25 AM

compound wall and vastu

भवन के आसपास चारों ओर कंपाउंड वॉल का निर्माण करना अत्यंत आवश्यक होता है। इससे भवन की सुरक्षा के साथ-साथ वहां रहने वाले भी सुरक्षित रहते हैं। कम्पाउंड वॉल से भवन में रहने वाले परिवार

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Vastu Tips For Compound Wall: भवन के आसपास चारों ओर कंपाउंड वॉल का निर्माण करना अत्यंत आवश्यक होता है। इससे भवन की सुरक्षा के साथ-साथ वहां रहने वाले भी सुरक्षित रहते हैं। कम्पाउंड वॉल से भवन में रहने वाले परिवार की मर्यादा की रक्षा होती है। जीव-जंतु, हिंसक पशु आदि अंदर नहीं आ सकते। इसके अलावा कंपाउंड वॉल की एक महत्वपूर्ण उपयोगिता यह है कि वास्तुशास्त्र के अनुसार लगभग एक मीटर से अधिक ऊंची दीवार होने से दूसरी तरफ अर्थात बाहर का वास्तु भवन को प्रभावित नहीं करता।

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Compound wall construction vastu: कम्पाउंड वॉल बनाते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना अत्यन्त महत्वपूर्ण होता है-

कम्पाउण्ड वॉल भवन से पूर्व व उत्तर दिशा में जगह छोड़कर बनानी चाहिए ताकि प्रातः कालीन सूर्य की किरणें आंगन में आ सकें।

कंपाउंड वॉल का निर्माण करते समय ईशान कोण गोलाई वाला कभी नहीं बनाना चाहिए। इससे ईशान कोण कट जाता है। यह महत्वपूर्ण वास्तु दोष है। जरूरत पड़ने पर शेष तीनों कोणों में गोलाई दी जा सकती है। बेहतर यही होगा कि, गोलाई कहीं न दी जाए, कम्पाउण्ड वॉल के चारों कोने समकोण रहें।

कम्पाउण्ड वॉल में आगे व पीछे दोनों ओर दरवाजे होने चाहिए, मुख्य प्रवेश द्वार बड़ा होना चाहिए। पिछवाड़े का द्वार मुख्य द्वार की तुलना में छोटा होना चाहिए। मुख्य द्वार सुंदर एवं भव्य बनाना चाहिए। ऐसा द्वार हर प्रकार की सुख-समृद्धि प्रदान करता है।

मुख्य द्वार पर एक बड़ा गेट वाहन के आने-जाने के लिए व एक छोटा गेट पैदल आने-जाने के लिए पास-पास बना सकते हैं।

कंपाउंड वॉल की ऊंचाई मुख्य द्वार की ऊंचाई के 2/3 से कम नहीं होनी चाहिए।

कंपाउंड वॉल ईशान कोण में सबसे नीची व नैऋत्य कोण में सबसे ऊंची होनी चाहिए।

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पूर्व मुखी और उत्तर मुखी भवनों में कम्पाउंड वॉल पूर्व या उत्तर में स्थित मुख्य द्वार से नीची होना चाहिए। पश्चिम मुखी और दक्षिण मुखी भवनों में कम्पाउंड वॉल मुख्य द्वार से ऊंची, बराबर या नीची रखी जा सकती है।

कंपाउंड वॉल दक्षिण व पश्चिम दिशा में पूर्व व उत्तर दिशा की तुलना में ऊंची तथा अधिक मोटी होनी स्वास्थ्य एवं धन-लाभ के लिए शुभ होता है।

यदि प्लॉट छोटा हो तो भवन की दक्षिण व पश्चिम दिशा में अलग से कम्पाउंड वॉल न बनाए। इस प्रकार बने भवन में कोई विशेष वास्तुदोष उत्पन्न नहीं होता है।

यदि कम्पाउंड वॉल टूट-फूट जाए तो वास्तु के बुरे प्रभाव से बचने के लिए उसे शीघ्र ही ठीक करना चाहिए।

वास्तु गुरू कुलदीप सलूजा
thenebula2001@gmail.com

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