‘गोवर्धन पूजा’ के साथ जुड़ा है ‘अन्नकूट पर्व’ का इतिहास, पढ़ें कथा

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 31 Oct, 2024 07:12 AM

connection of govardhan puja and annakoot festival

Govardhan Puja 2024: कार्तिक माह की शुक्ल प्रतिपदा अर्थात दीपावली के अगले दिन ‘अन्नकूट पर्व’ या ‘गोवर्धन पूजा’ का पर्व मनाया जाता है। इस दिन घर में गाय के गोबर से गोवर्धन की मानव रूपी आकृति बनाकर उसकी पूजा की जाती है तथा विभिन्न व्यंजन बनाकर गोवर्धन...

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Govardhan Puja 2024: कार्तिक माह की शुक्ल प्रतिपदा अर्थात दीपावली के अगले दिन ‘अन्नकूट पर्व’ या ‘गोवर्धन पूजा’ का पर्व मनाया जाता है। इस दिन घर में गाय के गोबर से गोवर्धन की मानव रूपी आकृति बनाकर उसकी पूजा की जाती है तथा विभिन्न व्यंजन बनाकर गोवर्धन को भोग लगाया जाता है। इस दिन गौपूजा का भी विशेष महत्व है। इस दिन शाम के समय गोवर्धन पूजन के समय भगवान विष्णु, भगवान श्रीकृष्ण के साथ-साथ दैत्यराज महाप्रतापी एवं महा दानवीर बलि का भी पूजन किया जाता है।

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Govardhan Puja Katha 2024: इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने देवराज इन्द्र का अहंकार चूर कर गोकुलवासियों को गोधन के महत्व से परिचित कराया था। वेदों में इस दिन वरुण, इन्द्र और अग्निदेव के पूजन का भी विधान है। पुराणों के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु ने लक्ष्मी सहित समस्त देवी-देवताओं को बलि की कैद से मुक्त कराया।

Govardhan Puja Katha: कथा के अनुसार एक बार भगवान श्रीकृष्ण अपने बाल सखाओं संग गऊएं चराते हुए गोवर्धन पर्वत की तराई में पहुंच गए। वहां गोप-गोपियां नाच-गाकर कोई उत्सव मना रहे थे। उन्होंने श्रीकृष्ण से कहा, ‘‘इन्द्र को प्रसन्न करने के लिए ‘इन्द्रोज’ नामक यह यज्ञ न करने पर सब ब्रजवासियों को इन्द्र के कोप का सामना करना होगा और समूचा ब्रज अकाल या बाढ़ की चपेट में आ जाएगा। इसलिए हमें यह यज्ञ हर हाल में करना ही चाहिए।’’

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इस पर श्रीकृष्ण ने कहा, ‘‘इन्द्र में क्या शक्ति है? उससे ज्यादा शक्तिशाली तो हमारा यह गोवर्धन पर्वत है और ब्रज में इसी के कारण वर्षा होती है। इसलिए हमें ‘इन्द्रोज यज्ञ’ करने की बजाय गोवर्धन की पूजा करनी चाहिए।’’

काफी विवाद के बाद ब्रजवासी इन्द्र की बजाय गोवर्धन की पूजा करने लगे। श्रीकृष्ण ने तब गोवर्धन पर्वत में अपना दिव्य रूप प्रविष्ट कराकर स्वयं गोवर्धन के रूप में समस्त व्यंजनों का भोग लगाया और ब्रजवासियों को आशीर्वाद दिया।

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इस घटना का पता चलने पर इन्द्र ने इसे अपना अपमान मानकर मेघों के जरिए ब्रज में तबाही शुरू कर दी। ब्रजवासियों की घबराहट देख श्रीकृष्ण ने उन्हें गोवर्धन पर्वत की शरण में चलने को कहा और गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठ उंगली पर उठा लिया। पूरे सात दिन ब्रजवासी गोवर्धन के नीचे सुरक्षित रहे। अंतत: इन्द्र को हार माननी पड़ी और जब ब्रह्मा जी ने उन्हें श्रीकृष्ण अवतार का रहस्य बताया तो इन्द्र श्रीकृष्ण से क्षमा-याचना करने लगे। श्रीकृष्ण ने तब गोवर्धन को अपनी उंगली से नीचे उतारते हुए ब्रजवासियों से हर वर्ष इसी दिन गोवर्धन की पूजा करने को कहा।

Annakut 2024: इस दिन गौ पूजन करने के पीछे धारणा यह है कि इससे व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह पर्व जहां गोधन के महत्व को दर्शाता है, वहीं इसे इन्द्र का अहंकार नष्ट होने के रूप में भी देखा जाता है। 

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