Edited By Jyoti,Updated: 13 Mar, 2021 06:10 PM
यह बात उस समय की है जब नेता जी सुभाष चंद्र बोस आजाद हिंद फौज के लिए नौजवानों की भर्ती कर रहे थे। आजाद हिंद फौज में हिंदू-मुस्लिम
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यह बात उस समय की है जब नेता जी सुभाष चंद्र बोस आजाद हिंद फौज के लिए नौजवानों की भर्ती कर रहे थे। आजाद हिंद फौज में हिंदू-मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी धर्मों के सैनिक थे। विभिन्न धर्मों से सैनिक अपने लिए अलग-अलग भोजन बनाते और खाते। नेता जी यह सब देख रहे थे लेकिन उन्होंने अभी तक किसी से कुछ नहीं कहा था।
एक दिन उन्होंने सभी सैनिकों से कहा, ‘‘आज शाम को आप सभी हाल में आ जाइएगा। आज मैं आप सबके साथ मिलकर खाना खाऊंगा। सभी सैनिकों ने उस दिन बढिय़ा भोजन तैयार किया और अपना-अपना खाना लेकर हाल में पहुंच गए। कुछ ही देर में नेता जी वहां आ गए। नेता जी को देख कर प्रत्येक धर्म के सैनिक, उनसे अपना-अपना भोजन करने का निवेदन करने लगे।
नेता जी मुस्कुराते हुए बोले, ‘‘आप सभी अपना-अपना भोजन मेरे पास ले आएं। सभी अपना-अपना भोजन नेता जी के पास परोसकर ले गए। नेता जी ने उन व्यंजनों को इकट्ठा कर लिया और एक बड़े बर्तन में मिलाकर बोले-अब आप सभी लोग अपना-अपना भोजन इसमें से निकाल लें।
यह सुनकर सभी सैनिक एक-दूसरे का मुंह देखने लगे और बोले, ‘‘जब आपने हम सभी के खाने को मिलाकर एक कर दिया है तो अब उसे अलग-अलग करने का क्या मतलब है।’’
सैनिकों की बात सुनकर नेता जी ने कहा, ‘‘दोस्तो मैं भी तो आप सभी से यही कहना चाह रहा हूं। जब हमारा देश विभिन्न धर्म-संप्रदायों और जातियों को मिलाकर बना है तो फिर धर्म और जाति के आधार पर भेदभाव करने का क्या अर्थ रह जाता है?’’
‘‘हम सब एक हैं। आजाद हिंद फौज का मकसद देश को गुलामी से मुक्त करना है लेकिन ऐसा तभी संभव हो पाएगा जब हम पहले जाति और सम्प्रदाय के बंधन से मुक्त हों।’’
यह सुनकर सभी सैनिक शॄमदा हुए और उन्होंने नेता जी से माफी मांगते हुए हमेशा भोजन साथ में करने का वायदा किया।