Edited By Niyati Bhandari,Updated: 16 Sep, 2021 10:21 AM
राजधानी के जिनालयों में जैन समुदाय के चल रहे दशलक्षण पर्व के सातवें दिन उत्तम तप धर्म का पाठ जैनियों ने पढ़ा। इस मौके पर भक्तों ने नौ प्रकार के पूजा अर्चना में शांतिनाथ पूजा, चंद्रभुज एवं
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नई दिल्ली (मानव शर्मा/ नवोदय टाइम्स): राजधानी के जिनालयों में जैन समुदाय के चल रहे दशलक्षण पर्व के सातवें दिन उत्तम तप धर्म का पाठ जैनियों ने पढ़ा। इस मौके पर भक्तों ने नौ प्रकार के पूजा अर्चना में शांतिनाथ पूजा, चंद्रभुज एवं नमोकार आदि जैन धर्म के वैदिक संधान की पूजा अर्चना की गई। उत्तम तप के माध्यम से जीव या आत्मा का शोधन भी तपी रूप अग्नि से किया गया। इसके लिए होम संधान में अष्टगंध सामग्रियों के साथ वातावरण को सुवासित करने वाला चंदन, केसर आदि की आहुति दी गई है।
जीवन के 12 प्रकार के तप अनशन, अवमौदर्य, वृति परिसंख्यान, रस परित्याग, विवित्त शरयासन, काय क्लेश, प्रायश्चित, विनय, वैय्या वृत्य, स्वाध्याय, व्युत्सर्ग और ध्यान दरा कर्म रूपी किट्ट कालीभा से शुद्ध करने का संधान किया गया। शाम को मंदिरो में कई सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किये गये। इसमें कहीं धार्मिक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया तो कहीं ज्ञान की बातों का प्रसार हुआ। चांदनी चौक स्थित श्री दिगंबर जैन लाल मंदिर में भक्तों ने जैन मुनि द्वारा दिए जा रहे प्रवचन से भक्ति रस का आनंद उठाया। दशलक्षण पर्व दस धर्मों के अनुसार उत्तम त्याग धर्म का पाठ एक सच्चे और अच्छे जीवन को जीने की प्रेरणा देते है। इस पर्वों के 10 दिनों में जैन मंदिरों देवालयों में भक्तगण श्रीजी का अभिषेक कर विश्वशांति की कामना को लेकर शांतिधारा के साथ-साथ पूजन विधान आदि करते है। श्री पारस नाथ जैन मंदिर के पुजारी प्रदीप जैन शास्त्री के कहा कि उत्तम त्याग धर्म हमें सिखाता है कि हमें हमेशा त्याग भावना अपने मन में रखनी चाहिए जिससे दूसरों का भला हो सके।