Edited By Jyoti,Updated: 24 Dec, 2019 02:11 PM
देवी-देवताओं से जुड़े मंत्रों आदि के बारे में हम आज तक आपको बहुत सी जानकारी दे चुके हैं। परंतु आज हम आपको अपने देश को समर्पित एक मंत्र का अर्थ बताने जा रहे हैं।
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देवी-देवताओं से जुड़े मंत्रों आदि के बारे में हम आज तक आपको बहुत सी जानकारी दे चुके हैं। परंतु आज हम आपको अपने देश को समर्पित एक मंत्र का अर्थ बताने जा रहे हैं। जैसे कि सब जानते हैं कि दुनिया के हर देश का अपना एक राष्ट्रीय गीत है, जो उनके राष्ट्र को दर्शाता है। ठीक उसी तरह हमारे यानि भारत का भी अपना एक राष्ट्रीय गीत है। यकीनन हर भारतवासी को ये गीत आता ही होगा। बता दें भारत देश को समर्पित ये राष्ट्रीय गीत बकिमचंद्र चटर्जी द्वारा लिखा गया था। इस गीत के प्रति हर किसी के भाव भी होंगे जो देश के स्वतंत्रता के लिए हमे प्रेरित करते हैं। परंतु क्या आप में से किसी एक भी व्यक्ति को देश के लिए प्यार और भाव प्रकट करने वाले इस महामंत्र का अर्थ पता है। हम जानते हैं लगभग लोगों का उत्तर न में होगा। क्योंकि आज कल के समय में तो बहुत से लोग अपने देश के प्रति अपनी जागरुकता ही खो चुके हैं तो उन्हें देश के राष्ट्रीय गीत का अर्थ जानने में क्या दिलचस्पी होगी। मगर यदि आप में आज भी इसके प्रति जानने की इच्छा है तो बता दें आज हम आपकी इस इच्छा को पूरी करने वाले हैं। हम आपको बताते हैं राष्ट्रीय गीत के महामंत्र 'वन्दे मातरम्' के साथ-साथ इसका संपूर्ण अर्थात-
बता दें सारे क्रांतिकारी, आंदोलनकर्ता, उपोषणकर्ता आदि द्वारा उच्चारे गए इस वन्दे मातरम् महामंत्र से ब्रिटिशों के ह्रदय डर से कांप उठते उठते थे। इसे किसी रणघोषणा जैसा महत्व प्राप्त था। स्वतंत्रता मिलने के बाद 26 जनवरी 1950 में इस गीत को राष्ट्रीय गीत के रूप में संविधान सभा में राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद द्वारा स्वीकार कर लिया गया।
वन्दे मातरम्
सुजलां सुफलां मलयजशीतलाम् शस्यशामलां मातरम्।
शुभ्रज्योत्स्नापुलकितयामिनीं फुल्लकुसुमितद्रुमदलशोभिनीं
सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीं सुखदां वरदां मातरम् ।।1।।
वन्दे मातरम्।
कोटि-कोटि-कण्ठ-कल-कल-निनाद-कराले कोटि-
कोटि-भुजैर्धृत-खरकरवाले, अबला केन मा एत बले ।
बहुबलधारिणीं नमामि तारिणीं रिपुदलवारिणीं मातरम्।।2।।
वन्दे मातरम्।
तुमि विद्या, तुमि धर्म तुमि हृदि, तुमि मर्म त्वं
हि प्राणा: शरीरे बाहुते तुमि मा शक्ति, हृदये तुमि मा भक्ति,
तोमारई प्रतिमा गडि मन्दिरे-मन्दिरे मातरम् ।।3।।
वन्दे मातरम्।
त्वं हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी कमला कमलदलविहारिणी
वाणी विद्यादायिनी, नमामि त्वाम् नमामि
कमलां अमलां अतुलां सुजलां सुफलां मातरम्।।4।।
वन्दे मातरम्।
श्यामलां सरलां सुस्मितां भूषितां धरणीं भरणीं मातरम्।।5।।
वन्दे मातरम्।।
वन्दे मातरम् का अर्थ-
हे माता! मैं तुम्हें वंदन करता हूं।
जलसमृध्द तथा धनधान्यसमृध्द दक्षिण के मलय पर्वत के ऊपर से आने वाली वायुलहरों से शीतल होने वाली एवं विपुल खेती से श्यामलवर्ण बनी हुई, हे माता!
चमकती चांदनियों के कारण यहां पर रातें उत्साहभरी होती हैं, फूलों से भरे हुए पौधों के कारण यह भूमि वस्त्र परिधान किए समान शोभनीय प्रतीत होती है। हे माता! आप निरंतर प्रसन्न रहने वाली तथा मधुर बोलनेवाली, वरदायिनी, सुखप्रदायिनी हैं!
30 करोड़ मुखों से निकल रही भयानक गरजनाएं तथा 60 करोड़ हाथों में चमकदार तलवारें होते हुए, हे माते! आपको अबला कहने का धारिष्ट्य कौन करेगा? वास्तव में माते, आप में सामर्थ्य हैं। शत्रु सैन्यों के आक्रमणों को मुंह-तोड़ जवाब देकर हम संतानों का रक्षण करने वाली हे माता! मैं आपको प्रणाम करता हूं।
आपसे ही हमारा ज्ञान, चरित्र एवं धर्म है। आप ही हमारा हृदय तथा चैतन्य हैं। हमारे प्राणों में भी आप ही हैं। हमारी कलाईयों में (मुठ्ठी में) शक्ति तथा अंत: करण में काली माता भी आप ही हैं। मंदिरों में हम जिन मूर्तियों की प्रतिष्ठापना करते हैं, वे सभी आप के ही रूप हैं।
दस हाथों में दस शस्त्र धारण करने वाली शत्रु संहारिणी दुर्गा भी आप तथा कमल पुष्पों से भरे सरोवर में विहार करने वाली कमल कोमल लक्ष्मी भी आप। विद्यादायिनी सरस्वती भी आप। आपको हमारा प्रणाम है। हे माते! हम आपका वंदन करते हैं। ऐश्वर्यदायिनी, पुण्यप्रद और पावन, पवित्र जलप्रवाहों से एवं अमृतमय फलों से समृद्ध माता आपकी महानता अतुलनीय है, उसे कोई सीमा ही नहीं। हे माते, हे जननी तुम्हें हमारा प्रणाम है।
वर्ण श्यामल वाली माता आपका चरित्र पावन है, आपका मुख सुंदर हंसी से विलसीत है। सर्वाभरणभूषित होने के कारण आप अधिक सुंदर लगती हैं। हमें धारण करने वाली तथा हमें संभालने वाली भी माता आपको हमारा प्रणाम हैं।