Dehradun: प्रकृति, शिक्षा एवं आस्था का संगम है डेराडून से बना देहरादून, पढ़ें प्राचीन इतिहास

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 15 Jul, 2024 03:45 PM

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शिवालिक की पहाड़ियो के बीच स्थित उत्तराखंड राज्य की राजधानी देहरादून विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। पूर्व में ‘द्रोणघाटी’, ‘डेराडून’, ‘पृथ्वीपुर’, ‘पुरा-केदारखंड’ आदि नामों से पहचान रखने वाला ‘देहरादून’ अपनी हरियाली एवं भव्यता के लिए मशहूर है।...

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Dehradun tourist places: शिवालिक की पहाड़ियो के बीच स्थित उत्तराखंड राज्य की राजधानी देहरादून विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। पूर्व में ‘द्रोणघाटी’, ‘डेराडून’, ‘पृथ्वीपुर’, ‘पुरा-केदारखंड’ आदि नामों से पहचान रखने वाला ‘देहरादून’ अपनी हरियाली एवं भव्यता के लिए मशहूर है। प्रसिद्ध गुरु द्रोणाचार्य ने यहां कठोर तप किया तथा संभवत: इसी कारण इसे पूर्व में द्रोणघाटी कहा गया। एक अन्य मान्यता के अनुसार सत्रहवीं सदी के अंत में मुगल सम्राट के समय गुरु रामराय अपने समर्थकों के साथ यहां रहे। वर्ष 1699 में उन्हें ब्रिटिश गढ़वाल से सात तथा टिहरी रियासत से छह गांव प्राप्त हुए। गुरु रामराय द्वारा यहां डेरा डालने के कारण इस स्थान का नाम ‘डेराडून’ तथा फिर कालांतर में ‘देहरादून’ पड़ा। इतिहास में इससे पूर्व इस स्थान को ‘पृथ्वीपुर’ के नाम से भी जाना जाता था। इसी प्रकार शिवालिक पहाड़ियो के मध्य बसा होने की वजह से इसे ‘शिव की भूमि’ (पूरा केदारखंड) के नाम से भी पहचाना जाता था।

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देहरादून के पास ही पहाड़ों की रानी ‘मंसूरी’ एवं पवित्र तीर्थ स्थल ‘हरिद्वार’ भी है। देहरादून के प्रमुख दर्शनीय स्थल इस प्रकार हैं :
The Doon School दून स्कूल : यह देश का प्रथम पब्लिक स्कूल माना जाता है। इसी स्कूल से भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी, नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री गिरिजा प्रसाद कोईराला बालीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन, मेनका गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, राबर्ट वढेरा, अमर सिंह, मणिशंकर अय्यर आदि सहित देश-विदेश की कई हस्तियों ने शिक्षा प्राप्त की है।

गुलाम भारत के प्रसिद्ध बैरिस्टर व वायसराय काऊंसिल के सदस्य सतीश रंजन दास ने इसकी स्थापना ‘भारतीय कम्पनी अधिनियम-1929’ के अंतर्गत ‘इंडियन पब्लिक स्कूल सोसाइटी’ पंजीकृत कराकर की थी। अकस्मात मृत्यु हो जाने के कारण वह अपना सपना पूरा नहीं कर सके परन्तु उनकी धर्मपत्नी एवं अन्य सहयोगियों ने मिलकर इस स्कूल की परिकल्पना को साकार किया।
27 अक्तूबर 1935 को तत्कालीन वायसराय लार्ड विलिंगटन ने इसका उद्घाटन किया। ब्रिटिश बोर्ड ऑफ एजुकेशन के तत्कालीन अध्यक्ष लार्ड हैल्फिैक्स ने एटन कालेज (इंगलैंड) के अध्यापक ए.ई. फुट को दून स्कूल का प्रथम हैडमास्टर बनाया।

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D.A.V.P.G. College डी.ए.वी.पी.जी. कालेज : इसकी स्थापना 1862 में महर्षि दयानंद सरस्वती की पुण्य स्मृति में एक पाठशाला के रूप में की गई थी। यह पाठशाला ‘मेरठ’ में थी जो 1904 में देहरादून के दानवीर ठाकुर पूर्ण सिंह नेगी द्वारा प्रदत्त जमीन पर स्थापित की गई। वर्ष 1922 में यह इंटरकालेज के रूप में, 1946 में डिग्री कालेज के रूप में तथा 1948 में पी.जी. कालेज के रूप में विकसित हुआ। यहीं से मारीशस के पूर्व राष्ट्रपति सर शिवसागर रामगुलाम, नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री लोकेंद्र बहादुर चंद, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. हेमवती नंदन बहुगुणा एवं नित्यानंद स्वामी, एवरैस्ट विजेता सुश्री बच्छेन्द्रीपाल, पूर्व थलसेनाध्यक्ष स्व. वी.सी. जोशी आदि ने शिक्षा प्राप्त की।

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Sahastradhara सहस्त्रधारा : देहरादून की खूबसूरत वादियां पर्यटकों को बरबस ही आकर्षित करती हैं। यहीं स्थित पर्यटक स्थल ‘सहस्त्रधारा’ को सौ से अधिक धाराओं का संगम स्थल कहा जाता है, देहरादून से 13 कि.मी. दूर स्थित इस स्थल पर गंधक का पानी बहता है। कहा जाता है कि इस पानी से त्वचा रोगों में लाभ मिलता है।

Rajaji National Park राजाजी नैशनल पार्क : यूनैस्को द्वारा संरक्षित विश्व के प्रमुख स्थलों में शामिल तीन वन्य जीव विहारों का संगम है-‘राजाजी पार्क’। लगभग 820 वर्ग कि.मी. क्षेत्र में फैला यह वन्य जीव अम्यारण्य को 13 अगस्त, 1983 को बनकर तैयार हुआ जिसमें तीन वन्य जीव विहार ‘मोतीचूर’, ‘चीला’ और ‘राजाजी’ शामिल किए गए। तीन जनपदों देहरादून, हरिद्वार एवं पौड़ी के भू-क्षेत्र में फैले इस पार्क का नाम भारत के अंतिम गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी के नाम पर ‘राजाजी राष्ट्रीय पार्क’ रखा गया।

1936 में ‘मोतीचूर’ 1948 में ‘राजाजी’ तथा 1977 में ‘चीला’ वन विहार की स्थापना की गई थी। यहां 25 प्रकार के स्तनधारी वन्य प्राणी एवं लगभग 300 से अधिक पक्षी पाए जाते हैं।

Lacchiwala लच्छीवाला : देहरादून से 18 कि.मी. की दूरी पर देहरादून-ऋषिकेश मार्ग पर स्थित यह पर्यटक केंद्र, वन विभाग द्वारा संचालित किया जाता है। प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर इस केंद्र पर हाथी की सवारी एवं सुंदर पार्क स्थित अनेक सुविधाएं उपलब्ध हैं।

Asan Barrage आसन बैराज : देहरादून से 40 कि.मी. दूर ‘दून-पौटा’ राष्ट्रीय राजमार्ग पर यमुना नदी के जल प्रवाह को रोक कर बनाए गए इस झीलनुमा दर्शनीय स्थल का अंदाज कुछ अलग ही है। सर्दी के मौसम में लद्दाख, मंगोलिया आदि के अनेक पक्षी यहां आते हैं। नवम्बर से फरवरी माह तक सुरखाब, पिंटेल, डालटर, टपडेट, फ्लासफिस, ईगल, कामन पोस्चार्ड, टपटेड पोस्चार्ड समेत लगभग 3 दर्जन से अधिक प्रकार के पक्षी यहां आते हैं। पक्षियों पर शोध करने वालों के लिए एक प्रमुख केंद्र है। जलक्रीड़ा आदि का आयोजन भी किया जाता है।

Dat Kali Temple डाट काली मंदिर : देहरादून से लगभग 9 कि.मी. दूरी पर दून-सहारनपुर मार्ग पर स्थित यह एक प्रमुख केंद्र है। सन् 1804 में नेपाल के सेनापति बलभट्ट थापा ने देहरादून प्रवेश करने से पूर्व यहां देवी की प्रतिमा स्थापित की तथा शूरवीर सिंह गोस्वामी को मंदिर की देख-रेख के लिए नियुक्त किया है।

सन् 1815 में अंग्रेजों ने यहां सुरंग का निर्माण शुरू किया परन्तु सुरंग जितनी बनाई जाती, अगले दिन उतनी ही गिर जाती। इस पर एक पंडित ने अनुष्ठान द्वारा बताया कि यहां एक मूर्ति दबी है जिसकी प्राण प्रतिष्ठा कर सुरंग बनाई जा सकती है। यहीं पर उसका निर्माण किया गया जिसे कालांतर में भट्टकाली कहा गया। प्रारंभ में इसे धाटवाली (घाट का स्थानीय अर्थ-जंगलों में छिपने के लिए बनाए स्थल हैं) कहां जाता था परन्तु सुरंग निर्माण के पश्चात इसे ‘डाटवाली’ कहा गया।

Kalika Temple कालिका मंदिर : देहरादून के मध्य में स्थित यह मंदिर 1954 में सर्वदास जी महाराज ने बनाया। वर्ष 1956 में पहली बार यहां लकड़ी की बल्ली का ध्वज स्थापित किया गया। प्रतिवर्ष ध्वज के लिए लकड़ी के लिए वृक्ष काटना अपराध मान कर सर्र्वदास जी ने यहां अष्ट धातु का करीब 70 फुट ऊंचा, 4 टन वजन वाला, सोना, चांदी, पारा, तांबा, सीसा, जस्ता एवं लोहे के मिश्रण का स्तम्भ बनाया। ऐसी मान्यता है कि शक्ति के प्रतीक इस स्तम्भ से निकलने वाली किरणों का प्रभाव समूचे वातावरण को शुद्ध करता है।

Buddhist Mahastupa बौद्ध महास्तूप : देहरादून के क्लेमेंनटाऊन स्थित इस महास्तूप का उद्घाटन 28 अक्तूबर 2002 को तिब्बतियों के धर्मगुरु दलाई लामा ने किया था। 85 फुट ऊंचे महास्तूप को निगमया समुदाय के सर्वोच्च गुरु मिंडोलिग ट्रिचेन तथा खीचेन रिनपोचे के दिशा-निर्देशन में तैयार किया गाय। इस 5 मंजिला स्तूप की प्रत्येक मंजिल पर अलग-अलग देवों एवं गुरुओं को समर्पित एक देवालय है। 

प्रथम मंजिल में आडियाना के महागुरु पदमसंभव की बड़ी प्रतिमा के साथ ही दीवार के चारों ओर उनकी जीवन कथा के 108 अध्यायों को चित्रकारी द्वारा दर्शाया गया है। दूसरी मंजिल पर भगवान बुद्ध की बड़ी प्रतिमा के साथ उनकी जीवन लीला का कलात्मक चित्रण है तो तीसरी मंजिल पर एक मंडला बनाया गया है। चौथी मंजिल की दीवारों पर 1000 बुद्ध के चित्र तथा निगंमपा परम्परा के गुरुओं की वंशानुक्रम के अनुसार प्रतिमाएं हैं। पांचवीं मंजिल पर बारह जोगचेन बुद्ध का चित्रण किया गया है। इस महास्तूप की तीसरी एवं पांचवीं मंजिल के चबूतरे की परिक्रमा करते हुए प्राकृतिक सौंदर्य के साक्षात दर्शन होते हैं।

Tapkeshwar Shiva Temple टपकेश्वर शिव मंदिर : गढ़ी कैंट स्थित टपकेश्वर मंदिर यहां के प्रसिद्ध धार्मिक केंद्रों में से एक है। गुफा में स्थित यह शिव मंदिर अपनी प्राकृतिक छटा एवं पौराणिक महत्व के कारण प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि महर्षि द्रोण ने सर्वप्रथम इसी स्थान पर भगवान शिव की तपस्या की थी।

Chanda wala झंडावाला : गुरु रामराय के देहरादून आगमन की स्मृति में प्रतिवर्ष रामनवमी को झंडा वाला में मेला लगता है। झंडारोहण के बाद 15 दिन तक यह मेला चलता है जिसमें हजारों श्रद्धालु एवं दरबार साहिब के महंत नंगे पांव शामिल होते हैं।

Ghanta Ghar घंटाघर : देहरादून में दो घंटाघर हैं। केंद्र में स्थित बलवीर घंटाघर एवं लगभग 150 वर्ष पूर्व स्थापित भारतीय सर्वेक्षण विभाग का 1874 में स्थापित ऐतिहासिक घंटाघर इसकी तीन घड़ियों को उस समय तीन हजार रुपए में इंगलैंड से मंगाया गया था।

Bharat Petroleum Institute भारत पैट्रोलियम संस्थान : देहरादून-हरिद्वार मार्ग पर करीब 275 एकड़ भूमि पर फैले इस संस्थान की स्थापना वर्ष 1963 में हुई थी। यहां पैट्रोलियम से संबंधित शोध कार्य किए जाते हैं।

Survey of india सर्वे ऑफ इंडिया : वर्ष 1832 में ‘सर्वे ऑफ इंडिया’ की ‘जियाडिक ब्रांच’ को देहरादून में स्थानांतरित किया गया था। उस समय इसका नाम ‘ग्रेट ट्रिगनोमैट्रिक सर्वे ऑफ इंडिया’ हुआ करता था। इसे 1854 से ‘जियोड्रिक एंड रिसर्च ब्रांच’ के नाम से पहचाना जाने लगा। जार्ज एवरैस्ट ने पहाड़ों के प्रति लगाव के चलते हाथी पांव  (मंसूरी) में अपनी प्रयोगशाला भी बनाई। 1942 में हाथी-बडकला में एक नए मानच्तिर फैक्टरी की स्थापना की गई जिसको 1944 से भारत के ‘सर्वेयर जनरल आफिस’ के रूप में स्थापित किया गया। यहां विभिन्न सर्वेक्षण एवं स्थलाकृति मानचित्रण कार्य होता है। 

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How to reach Dehradun कैसे पहुंचें देहरादून 
देहरादून लगभग हर शहर से जुड़ा है। यहां मुम्बई, दिल्ली, इलाहाबाद आदि से सीधे ट्रेन द्वारा या बस द्वारा पहुंचा जा सकता है। यहां से कुछ दूरी पर ‘जौलीग्रांट’ नामक हवाई अड्डा भी है। यहां सामान्यत: अक्तूबर अंत से मार्च मध्य तक मौसम ठंडा रहता है तथा जून-अगस्त तक वर्षा होती रहती है। यहां लगभग हर मौसम में जाया जा सकता है। 

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