Edited By Prachi Sharma,Updated: 10 Nov, 2024 04:00 AM
भारत में प्रत्येक त्योहार अपनी अनूठी विशेषताओं और परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है। दिवाली, जिसे दीपावली के नाम से भी जाना जाता है, हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है।
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Dev Deepawali 2024: भारत में प्रत्येक त्योहार अपनी अनूठी विशेषताओं और परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है। दिवाली, जिसे दीपावली के नाम से भी जाना जाता है, हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। दिवाली, दीपों की रोशनी से घर-घर जगमगाता है और यह अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का प्रतीक मानी जाती है। दिवाली के 15 दिन बाद एक और महत्वपूर्ण उत्सव मनाया जाता है जिसे देव दीपावली कहा जाता है। यह उत्सव देवताओं की उपासना, आस्था और धार्मिक महत्व का प्रतीक है। इसे देवों की दीपावली भी कहा जाता है। इस दिन, मान्यता है कि देवता धरती पर उतरते हैं और दीपों से उनका स्वागत किया जाता है। यह दिन विशेष रूप से काशी में अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है, जहां इस दिन विशेष पूजा, आरती और दीपों से नगर को सजाया जाता है।
तो चलिए जानते हैं वर्ष 2024 में कब मनाया जाएगा देव दिवाली का पर्व:
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 15 नवंबर 2024 को सुबह 6 बजकर 19 मिनट पर होगा और अगले दिन 16 नवंबर को इसका समापन हो जाएगा। 15 नवंबर को ये पर्व मनाया जाएगा।
Why is Dev Deepawali celebrated क्यों मनाई जाती है देव दीपावली ?
मान्यता है कि देव दीपावली के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। त्रिपुरासुर ने देवताओं को तंग कर दिया था और भगवान शिव ने अपनी शक्ति से उसे पराजित कर दिया। इसके बाद देवता शिव के धन्यवाद में दीप जलाने लगे और तब से यह परंपरा चली आ रही है। देव दीपावली के दिन खासकर काशी में गंगा के किनारे दीपों की जो श्रृंखला दिखाई देती है। वह बहुत ही सुंदर और आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करती है। इस वजह से देवता इस दिन धरती पर दिवाली मनाने आते हैं। इस दिन गंगा नदी के किनारे लाखों दीप जलाए जाते हैं और विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
Dev Deepawali देव दीपावली की विशेषताएं
देव दीपावली का सबसे प्रमुख आकर्षण दीपों की रोशनी होती है। इस दिन घरों, मंदिरों और गंगा घाटों को दीपों से सजाया जाता है। वाराणसी में विशेष रूप से गंगा की किनारे दीपों की सजीव माला बनाई जाती है, जिसे देखने के लिए भक्तों की भारी भीड़ जमा होती है।
देव दीपावली के अवसर पर वाराणसी में गंगा नदी की विशेष पूजा होती है। गंगा घाटों पर दीपमालिका का वितरण किया जाता है,और वहां श्रद्धालु गंगा की आरती करते हैं। यह पूजा देवताओं के सम्मान में होती है और यह उनके प्रति आभार और श्रद्धा को व्यक्त करने का एक तरीका है।
देव दीपावली के दिन विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव ने राक्षसों का वध करके देवताओं को विजय दिलाई थी और इसी कारण इस दिन का महत्व बहुत अधिक है। शिव भक्त इस दिन विशेष रूप से शिवलिंग पर दीपक अर्पित करते हैं और पूजा करते हैं।