Edited By Niyati Bhandari,Updated: 14 Nov, 2024 09:38 AM
नई दिल्ली (ब्यूरो): देव दीपावली, गुरु पर्व और भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में बुधवार को कश्मीरी गेट-आईएसबीटी के समीप वासुदेव घाट पर यमुना नदी के तट पर दिल्ली दीपोत्सव मनाया गया।
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नई दिल्ली (ब्यूरो): देव दीपावली, गुरु पर्व और भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में बुधवार को कश्मीरी गेट-आईएसबीटी के समीप वासुदेव घाट पर यमुना नदी के तट पर दिल्ली दीपोत्सव मनाया गया। जिसमें 3.5 लाख दीये जलाए गए। दीपोत्सव की शुरुआत एलजी वी के सक्सेना ने दीप जलाकर की। इस दौरान लेजर और ड्रोन-शो से भी अलग ही नजारा देखने को मिला। उल्लेखनीय है कि वासुदेव घाट डीडीए द्वारा दिल्ली में कायाकल्पक किया गया पहला घाट है, यहां प्रत्येक रविवार और मंगलवार को यमुना आरती होती है। दीपोत्सव कार्यक्रम में एलजी वी के सक्सेना ने कहा कि लोगों के लिए पर्यावरण और पारिस्थिति के संरक्षण के लिए प्रधानमंत्री के विजन के अनुरूप डीडीए के तत्वावधान में दिल्ली ने मार्च 2024 में वासुदेव घाट परियोजना का उद्घाटन किया। जो यमुना नदी के बाढ़ के मैदानों का पुनरूद्धार करने और कायाकल्प करने की दिशा में एक मील का पत्थर है। उन्होंने सभी मौजूद लोगों व दिल्लीवासियों को दीपोत्सव व देव दीपावली और गुरु पर्व, भगवान बिरसा मुंडा जयंती की बधाई भी दी।
दीपोत्सव दरअसल अपनी तरह का पहला समारोह है। इस कार्यक्रम में आध्यात्मिक परिदृश्य को और अधिक रोशन करने के लिए, एलजी ने इस अवसर पर यमुना आरती भी की। एक आकर्षक ड्रोन और लेजर शो का भी आयोजन किया गया तथा वासुदेव घाट पर ‘बारादरी’ में एक भव्य राम दरबार स्थापित किया गया। इस कार्यक्रम में शामिल होने वाले विभिन्न क्षेत्रों के लोगों ने घाट पर दीये जलाए, जिनमें छात्र और कलाकार शामिल हुए।
डीडीए के अनुसार, वासुदेव घाट दिल्ली में डीडीए द्वारा पुनरूद्धार किया गया पहला घाट है। 16 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला मुख्य घाट 145 मीटर की लंबाई तक फैला है और यमुना के पवित्र जल तक पहुंचने के लिए 25 सीढ़ियां हैं। घाट पर 5 हेक्टेयर का हरा-भरा इलाका चारबाग शैली में बनाया गया है। ऐतिहासिक मुगल उद्यानों के अनुरूप, इसमें एक बारादरी और परिसर में अनेक छतरियां बनी हैं। कई अन्य विशेष आकर्षण हैं, जिनमें सुंदर नक्काशीदार मंडपों के बीच मां यमुना की प्रतिमा, हरे-भरे फूलों की क्यारियां शामिल हैं, जिनमें हर मौसम में ट्यूलिप, गेंदा, सदाबहार आदि प्रजातियों के पौधे इसकी शोभा बढ़ाते हैं।