Edited By Jyoti,Updated: 15 Sep, 2022 05:06 PM
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हिंदू धार्मिक व ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार गुरुवार का दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ नवग्रह के सर्वश्रेष्ठ कहे जाने वाले गुरु ग्रह देव की पूजा के लिए विशेष माना जाताहै। कहा जाता है इस दिन इनकी पूजा करने से कुंडली में इस ग्रह की खराब स्थिति बेहतर
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हिंदू धार्मिक व ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार गुरुवार का दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ नवग्रह के सर्वश्रेष्ठ कहे जाने वाले गुरु ग्रह देव की पूजा के लिए विशेष माना जाताहै। कहा जाता है इस दिन इनकी पूजा करने से कुंडली में इस ग्रह की खराब स्थिति बेहतर होता है साथ ही साथ विष्णु जी भी प्रसन्न होते हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि हम आपको गुरुवार को किए जाने वाले विभिन्न प्रकार के उपाय बताएंगे तो आपको बता दे इस बारे में तो अपनी वेबसाइट के माध्यम से हम पहले भी जानकारी दी है। इसलिए अब हम लाएं बेहद नयी जानकारी। जी हां, दरअसल आज हम आपको गुरु ग्रह के कोई उपाय नहीं बल्कि बृहस्पति ग्रह के मंदिर के बार में बताने जा रहे हैं। खास बात तो ये है कि ये मंदिर काशी में स्थित है। ऐसा कहा जाता है महादेव की राजधानी में स्थित देवगुरू बृहस्पति के इस स्थान को स्वयं भोलेनाथ ने सुनिश्चित किया था। आइए जानते हैं क्या है इसका रहस्य-
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महादेव के घर में बृहस्पति को स्थान
बता दें वाराणसी में दशाश्मेध घाट मार्ग और बाबा विश्वनाथ के निकट गुरु मंदिर स्थित है। जिसके बारे में कहा जाता है कि ये मंदिर अति प्राचीन है। जिसका महात्मय दूर दूर तक फैला हुआ है। इसी के चलते इस बृहस्पति मंदिर भक्तों का ताता लगा रहता है। ऐसा मान्यताएं प्रचलित हैं कि ये स्थान काशी शिव शंकर का निवास स्थान माना जाता है और यहीं पर बृहस्पति गुरू मंदिर स्थापित किया गया था। गुरु ग्रह का ये मंदिर काशी के सभी मंदिरों से सर्वोच्च स्थान पर स्थापित है।
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स्वयं शिव ने दिया स्थान
यहां के निवासियों द्वारा दी गई जानकारी की मानें तो धार्मिक कथाओं में महादेव काशी को अपनी राजधानी मानते थे, जिस कारण प्रत्येक देवी-देवता यहां रहने की इच्छा रखते थे। अतः सभी ने देवों के देव महादेव से अपने अपने लिए काशी में स्थान देने अनुरोध किया। जिसके बाद भोलेनाथ ने निश्चय किया कि वे भगवान वृहस्पति को जो सभी देवों के गुरु है, को अपने समीप स्थान देंगे। यही विचार करके महादेव ने काशी विश्वनाथ मंदिर से कुछ ही दूरी पर बृहस्पति स्वामी को स्थान देने का निर्णय करते हुए उन्हें देवों में सर्वोच्च मानकर और नौ ग्रहों में सर्वश्रेष्ठ होने के चलते उनके धार्मिक स्थल को सभी से ऊंचा बनवा दिया।