देवी लक्ष्मी का एक ऐसा मंदिर जो अपनी वास्तु शैली के लिए है बेहद खास

Edited By Lata,Updated: 27 Dec, 2019 03:54 PM

devi lakshmi temple

आज के समय में हर कोई चाहता है कि उसके पास भरपूर पैसा हो, ताकि वह अपने जीवन में आनी वाली हर परेशानी को

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आज के समय में हर कोई चाहता है कि उसके पास भरपूर पैसा हो, ताकि वह अपने जीवन में आनी वाली हर परेशानी को दूर कर सके। धन पाने के लिए हर इंसान धन की देवी माता लक्ष्मी की आरधना करता है और शास्त्रों में शुक्रवार का दिन मां की आराधना करने का दिन माना गया है। बहुत से लोग धन पाने के लिए या धन से जुड़ी हर समस्या का समाधान करने के लिए इस दिन व्रत भी करता है और माता के मंदिर में जाकर पूजा-पाठ भी करता है। बता दें कि माता लक्ष्मी के भारत देश में कई मंदिर स्थापित हैं और उन मंदिरों से जुड़ी हुई मान्यताएं भी अलग-अलग हैं। आज हम आपको उनके एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जोकि अपनी वास्तु शैली को लेकर बेहद ही खास है। 
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यह मंदिर कर्नाटक के हसन से 16 किमी दूर डोदगादवल्ली नामक गांव में स्थित है। बताया जाता है कि यह मंदिर 900 साल पुराना है। इतिहासकार बताते हैं कि इस मंदिर का निर्माण होयसल सम्राज्य के शासक विष्णुवर्धन के काल में 1113-14 में हुआ था। बताया जाता है कि यह मंदिर होयसल वास्तुशिल्प शैली के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। यहां स्थापित देवी लक्ष्मी की प्रतिमा के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से भक्त आते हैं।
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मंदिर में चारों दिशाओं में चार कक्ष निर्मित है, जो मध्य में एक केन्द्र से आपस में जुड़े हुए हैं। पूर्वी गर्भगृह में देवी महालक्ष्मी विराजमान हैं, जिनके दाएं हाथ में शंख और ऊपरी बाएं हाथ में चक्र है। देवी लक्ष्मी के दोनों ओर दो परिचारिकाओं की मूर्तियां हैं। इसके अलावा मंदिर में नृत्यरत भगवान शिव, भैंसे पर सवार यम और समुद्र देवता वरुण की प्रतिमाएं मौजूद है। वहीं मंदिर के उतरी कक्ष में देवराज इंद्र की मूर्ति है, जो अपने वाहन ऐरावत पर विराजमान हैं। साथ ही देवराज इन्द्र का व्रज लेकर इंद्राणी भी मौजूद हैं।

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