कैसे रेवती बनी दाऊ की अर्धांगिनी, क्या आप जानते हैं?

Edited By Jyoti,Updated: 06 Dec, 2019 11:17 AM

devi revati and balram ji marriage story

हिंदू धर्म के ग्रंथ श्री कृष्ण की लीलाओं के भरे पड़े हैं। अपने बाल्य काल से लेकर महाभारत युद्ध के दौरान तथा उसके बाद भी अपनी लीलाओं से संसार को अपने भगवान होने का प्रमाण देते रहे हैं।

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हिंदू धर्म के ग्रंथ श्री कृष्ण की लीलाओं के भरे पड़े हैं। अपने बाल्य काल से लेकर महाभारत युद्ध के दौरान तथा उसके बाद भी अपनी लीलाओं से संसार को अपने भगवान होने का प्रमाण देते रहे हैं। कहा जाता है भगवान कृष्ण के भड़े भाई बलराम हर परस्थिति में उनके साथ थे। आज हम आपको कान्हा के दाऊ भैय्या से जुड़ी ही एक ऐसी पौराणिक कथा के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी प्राप्त होगी।
PunjabKesari, Sri Krishan, श्री कृष्ण, बलराम, Balram
पौराणिक कथाओं के अनुसार सतयुग में रैवतक नामक एक महाराजा थे, जिन्हें पृथ्वी का सम्राट कहा जाता था। इनकी एक रेवती नाम की पुत्री थी। महाराजा रैवतक के राजकुमारी को हर प्रकार की शिक्षा प्राप्त कराई थी। रेवती के युवास्था होने पर महाराज ने पृथ्वी पर उसके लिए योग्य वर की तलाश शुरू कर दी। परन्तु वें अपनी पुत्री के लिए एक योग्यतम वर ढूंढने में असमर्थ रहें और निराश हो गए। जब बहुत ढूंढने पर भी रैवतक अपनी पुत्री के लिए योग्य वर नहीं ढूंढ पाएं तो तब अंत में उन्होंने ब्रह्मलोक जाने का निश्चय किया ताकि वे स्वयं ब्रह्माजी से रेवती के वर के बारे में पूछ सकें। ऐसा निश्चय कर महाराज रैवतक अपनी पुत्री को लेकर ब्रह्मलोक को प्रस्थान कर गए।

जब वे ब्रह्मलोक पहुंचे में उस समय वेदों का गान चल रहा था, जिस कारण उन्हें वहां लंबा इंतज़ार करना पड़ा। एक दिन फिर जब वेदों का पाठ खत्म हुआ तो महाराज रैवतक ने ब्रह्मजी के समक्ष अपनी बात रखीं और सब कुछ विस्तार में बताया। जब ब्रह्मा जी ने महाराज की व्यथा सुनी तो वे मुस्कुराने लगें और बोलें आप पृथ्वी पर वापिस लौट जाइए, वहां पर श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम आपकी पुत्री रेवती के लिए योग्य पति साबित होंगे।
PunjabKesari, Devi Revati, Balram Ji, Devi Revati and Balram Ji marriage story, Balarama wife, Balram revati vivah, Balram revati ka vivah, Balarama wife in hindi, Dharmik Story in hindi, Dant Katha in hindi
रेवती के लिए योग्य एवं भगवान वासुदेव का स्वरूप बलराम जैसा वर पाकर महाराज रैवतक बेहद प्रसन्न हुए और रेवती को लेकर वापिस भूलोक पधार गए। परन्तु जब वे पृथ्वी पर पहुंचे तो आश्चर्यचकित रह गए क्योंकि वहां मौजूद मनुष्य तथा अन्य जीव जंतु बहुत छोटे आकार के दिखें। कुछ देर वे सोचते रहें कि ये कैसे हुआ? उस समय उन्होंने वहां मौजूद मनुष्यों से वार्तालाप की तो पता चला की ये द्वापर युग चल रहा है। सतयुग में मानव की ऊंचाई 21 हाथ, त्रेतायुग में 14 हाथ और द्वापरयुग में मनुष्य के शरीर का आकार 7 हाथ है।

यह सुनकर वे घबरा गए और श्री कृष्ण के भाई बलराम जी के पास गए और उन्हें ब्रह्माजी द्वारा बोली गई बातों की हकीकत बताई। तब बलराम जी मुस्कुराए और महाराज से कहने लगे जब तक आप ब्रह्मलोक से लौटे हैं तब तक पृथ्वी पर सतयुग व त्रेता नामक दो युग गुजर गए। इस समय पृथ्वी पर द्वापर युग चल रहा है। इसलिए यहां पर आपको छोटे आकार के लोग देखने को मिल रहे हैं। महाराज रैवतक चिंतित हो उठे और बलराम से बोलें कि जब तक रेवती आपसे अधिक लंबी है तब तक आप दोनों का विवाह कैसे संभव होगा।
PunjabKesari, Devi Revati, Balram Ji, Devi Revati and Balram Ji marriage story, Balarama wife, Balram revati vivah, Balram revati ka vivah, Balarama wife in hindi, Dharmik Story in hindi, Dant Katha in hindi
यह सुनते ही बलराम जी ने रेवती को अपने हल के नीचे की ओर दबाया, जिससे रेवती का कद छोटा हो गया।  रेवती के पिता ये दृश्य देख कर बेहद प्रसन्न हुए। जिसके बाद उन दोनों को विवाह के पवित्र बंधन में बांध कर वे स्वयं सन्यास चले गए।

Related Story

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!