Devshayani Ekadashi: देवशयनी एकादशी पर दूर होगी जीवन की हर समस्या

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 16 Jul, 2024 09:38 AM

devshayani ekadashi

आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी अथवा हरिशयनी एकादशी कहते हैं। इस एकादशी से ही भगवान विष्णु का निद्राकाल शुरू

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Devshayani Ekadashi 2024: आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी अथवा हरिशयनी एकादशी कहते हैं। इस एकादशी से ही भगवान विष्णु का निद्राकाल शुरू हो जाता है। आइए जानते हैं, देवशयनी एकादशी का महत्व और पूजा विधि 

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Importance of Devshayani Ekadashi देवशयनी एकादशी का महत्व

देवशयनी एकादशी को भगवान विष्णु का शयन 4 महीने के लिए शुरू हो जाता है। चार महीने के लिए श्री हरि निद्रा में लीन हो जाते हैं। हरि के निद्राकाल में चले जाने पर चातुर्मास शुरू होता है। ऐसे में चार महीने तक कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य नहीं होता। कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी पर जब भगवान विष्णु निद्रा से उठते हैं, तब सभी मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं।

17 जुलाई 2024 को देवशयनी एकादशी से चातुर्मास शुरू हो जाएगा, इसका समापन 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी पर होगा। चातुर्मास में श्रावण, भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक महीने शामिल होते हैं। देवशयनी एकादशी का आषाढ़ शुक्ल पक्ष चंद्र चक्र का बढ़ता चरण होता है और देवउठनी एकादशी कार्तिक शुक्ल पक्ष के साथ समाप्त होती है।

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Devshayani Ekadashi Puja Timings देवशयनी एकादशी पूजा मुहूर्त

इस वर्ष 2024 में यह व्रत 17 जुलाई को रखा जाएगा। अनुष्ठान का शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 35 मिनट से शुरू होगा।
देवशयनी एकादशी तिथि 16 जुलाई रात 8 बजकर 32 मिनट से शुरू होकर 17 जुलाई रात 9 बजकर 2 मिनट तक रहेगी।

Worship in this way on Devshayani Ekadashi देवशयनी एकादशी पर इस तरह करें पूजा
देवशयनी एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन व्रत करने से भगवान विष्णु बहुत प्रसन्न होते हैं। एकादशी के दिन भगवान विष्णु को जलाभिषेक करें और उनका ध्यान करें। भगवान विष्णु को फूल, चंदन, अक्षत, नेवैध अर्पित करके उनको प्रसन्न किया जा सकता है। पूजा में तुलसी का प्रयोग जरूर करना चाहिए। तुलसी के भोग के बिना भगवान विष्णु की पूजा अधूरी मानी जाती है।

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इस दिन श्री हरि के मंत्रों का जाप करें और साथ ही भगवान विष्णु के स्रोत का पाठ भी करें।

अंत में भगवान विष्णु की कथा पढ़कर या सुनकर उनकी आरती करें, पीपल के पेड़ की पूजा करें। 

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