Edited By Niyati Bhandari,Updated: 26 Jun, 2024 03:47 PM
हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस दिन भगवपान विष्णु की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है। देवशयनी एकादशी को आषाढ़ी, हरिशयनी और पद्मनाभा एकादशी भी
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Devshayani Ekadashi 2024: हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस दिन भगवपान विष्णु की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है। देवशयनी एकादशी को आषाढ़ी, हरिशयनी और पद्मनाभा एकादशी भी कहा जाता है। इस साल 17 जुलाई 2024 को देवशयनी एकादशी मनाई जाएगी। इस दिन से ही भगवान विष्णु चार माह के लिए क्षीरसागर में शयन के लिए चले जाते हैं। माना जाता है कि इस दिन श्री हरि की पूजा करने से जीवन में उन्नति और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। तो आइए जानते हैं देवशयनी एकादशी के शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि के बारे में-
Devshayani Ekadashi auspicious time देवशयनी एकादशी शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल देवशयनी एकादशी का व्रत 17 जुलाई 2024 को रखा जाएगा। इस तिथि की शुरुआत 16 जुलाई की रात 08 बजकर 33 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 17 जुलाई को रात 09 बजकर 02 मिनट पर होगा। विष्णु जी की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजे से लेकर 9 बजकर 20 मिनट पर होगा।
Devshayani Ekadashi Ka Mahatva देवशयनी एकादशी का महत्व
हिंदू धर्म में देवशयनी एकादशी का बहुत महत्व है। हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस बार देवशयनी एकादशी 17 जुलाई 2024 को मनाई जाएगी। देवशयनी एकादशी के बाद श्री हरि चार माह के लिए योगनिद्रा में चले जाते हैं। माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूरे विधि-विधान से पूजा करने से सारे दुख, दर्द दूर हो जाते हैं।
Devshayani Ekadashi 2024 Puja Vidhi देवशयनी एकादशी पूजा विधि
देवशयनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
उसके बाद घर के मंदिर की साफ-सफाई करें और गंगा जल का छिड़काव करें।
फिर एक चौकी पर एक कपड़ा बिछाकर श्री हरि की प्रतिमा स्थापित करें।
अब भगवान विष्णु को अक्षत, चंदन, तुलसी दल और पीले रंग के फूल अर्पित करें।
इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा करने के बाद उनके मंत्रों का जाप करें।
अंत में आरती करके केसर से बनी मिठाई का भोग लगाएं।
भगवान विष्णु के मंत्र
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।
ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
ॐ विष्णवे नम:
ॐ हूं विष्णवे नम:
ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।