Dhakeshwari Temple: हिंदुओं के सबसे बड़े मंदिर में रहती हैं ‘ढाका की देवी’

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 13 Dec, 2024 08:00 AM

dhakeshwari temple

Dhakeshwari National Temple: ढाका के लालबाग किले से लगभग 1 कि.मी. की दूरी पर स्थित है 800 साल पुराना ढाकेश्वरी मंदिर। यह बांग्लादेश में हिन्दू संस्कृति और आस्था का प्रमुख केंद्र है। विभाजन पूर्व यह मंदिर सम्पूर्ण भारत के प्रमुख मंदिरों में से एक था...

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Dhakeshwari National Temple: ढाका के लालबाग किले से लगभग 1 कि.मी. की दूरी पर स्थित है 800 साल पुराना ढाकेश्वरी मंदिर। यह बांग्लादेश में हिन्दू संस्कृति और आस्था का प्रमुख केंद्र है। विभाजन पूर्व यह मंदिर सम्पूर्ण भारत के प्रमुख मंदिरों में से एक था लेकिन अब भी न सिर्फ बांग्लादेश में रहने वाले हिन्दू समाज बल्कि भारतीय हिन्दुओं के लिए भी यह श्रद्धा का केंद्र है। मान्यता है कि ढाकेश्वरी देवी के नाम पर ही ढाका का नामकरण किया गया। ‘ढाकेश्वरी’ का अर्थ है ‘ढाका की देवी’। ढाका की देवी को देवी दुर्गा की आदिशक्ति माना जाता है। 1996 में ढाकेश्वरी मंदिर को बांग्लादेश का राष्ट्रीय मंदिर घोषित किया गया और इसका नाम बदलकर ढाकेश्वरी जाटीय मंदिर (राष्ट्रीय मंदिर) रखा गया।

PunjabKesari Dhakeshwari Temple

यह बांग्लादेश में हिंदू संस्कृति एवं धर्म अध्यात्म के प्रमुख केंद्र के तौर पर अपनी उपस्थिति दर्ज करता है और यह संभव हो सका बांग्लादेश के अल्पसंख्यक हिन्दू समाज के एक प्रमुख आंदोलन के फलस्वरूप, जो 1988 में इस्लाम को राजकीय धर्म के रूप में घोषित करने पर हिन्दू रीति-रिवाज से पूजा-पाठ के लिए आधिकारिक तौर पर एक प्रमुख स्थल की मांग कर रहे थे।

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फलस्वरूप इस मंदिर पर राज्य का स्वामित्व है और हर सुबह प्रमुख मंदिर के बाह्य परिसर में बांग्लादेश का ध्वज फहराया जाता है। यह राष्ट्रीय ध्वज संहिता के नियमों का पालन भी करता है जैसे राष्ट्रीय शोक दिवस होने पर यह आधा झुका हुआ होता है। यह मंदिर हिन्दुओं के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र तो है ही, साथ ही यह बांग्लादेश में  भी है।

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Dhakeswari Devi Temple Bangladesh ढाकेश्वरी का ऐतिहासिक पक्ष
800 साल पहले इस मंदिर का निर्माण सेन राजवंश के राजा बल्लाल सेन ने 12वीं सदी में करवाया था। ढाका नाम की उत्पत्ति भी इसी नाम पर हुई किन्तु यह मंदिर कई बार क्षतिग्रस्त किया जा चुका है जिस कारण इसके कई भवन नष्ट हो चुके हैं। 1971 में बंगलादेश-पाकिस्तान युद्ध के दौरान इस मंदिर को भारी क्षति पहुंची थी और आधे से अधिक भवन नष्ट कर दिए गए थे। मुख्य पूजा हाल को पाकिस्तानी सेना ने अपने कब्जे में लेकर गोला-बारूद के भंडारण के तौर पर प्रयोग किया। 

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इसके बाद भी दंगों के चलते 1989-92 के दौरान मंदिर फिर से क्षतिग्रस्त किया गया। मंदिर का कई बार पुनरुद्धार किया जा चुका है। कुछ शोधकर्ताओं के अनुसार ढाकेश्वरी मंदिर की गिनती 51 शक्तिपीठों में की जाती है। यहां देवी सती के आभूषण गिरे थे किन्तु इस तथ्य को स्थापित करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य का अभाव है। देवी आराधना के लिए प्रसिद्ध इस मंदिर में मां दुर्गा की मूल प्रतिमा की बजाय उसकी प्रतिकृति है। मां दुर्गा की 800 साल पुरानी मूल प्रतिमा को भारत के पश्चिम बंगाल के कुमारतुली ले जाया गया था।

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Goddess of Dhaka नवरात्र में गूंजते हैं मां के जयकारे 
नवरात्रि के दौरान इस मंदिर की रौनक देखते ही बनती है। बीते जमाने में चैत्र माह में ही ढाकेश्वरी मंदिर के प्रांगण में त्योहारों का आयोजन होता था। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में चैत्र एवं शारदीय नवरात्र के दौरान षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी के पवित्र अनुष्ठानों के बाद विजयादशमी को पांच दिवसीय उत्सवों  के साथ इसका समापन होता है। प्रत्येक वर्ष ढाका में दुर्गा पूजा का भव्य उत्सव ढाकेश्वरी मंदिर में ही आयोजित किया जाता है। कई हजार उपासक यहां माता के दर्शन को आते हैं। 

 

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