Edited By Niyati Bhandari,Updated: 02 Nov, 2021 08:44 AM
धनतेरस की शाम घर के आंगन में दीप जलाने की प्रथा है। इस प्रथा के पीछे एक लोक कथा है, जिसके अनुसार किसी समय में एक राजा थे जिनका नाम हेम था। ईश्वर की कृपा से उन्हें पुत्र हुआ। ज्योतिषियों ने
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Dhanteras Katha 2021: धनतेरस की शाम घर के आंगन में दीप जलाने की प्रथा है। इस प्रथा के पीछे एक लोक कथा है, जिसके अनुसार किसी समय में एक राजा थे जिनका नाम हेम था। ईश्वर की कृपा से उन्हें पुत्र हुआ। ज्योतिषियों ने जब बालक की कुंडली बनाई तो पता चला कि बालक के विवाह के ठीक चार दिन बाद उसकी अकाल मृत्यु हो जाएगी। राजा यह जानकर बहुत दुखी हुआ। उसने राजकुमार को ऐसी जगह भेज दिया जहां किसी स्त्री की परछाई भी न पड़े। दैवयोग से एक दिन एक राजकुमारी उधर से गुजरी और दोनों एक दूसरे को देखकर मोहित हो गए और उन्होंने गन्धर्व विवाह कर लिया।
विवाह के बाद विधि का विधान सामने आया और यमदूत उस राजकुमार के प्राण लेने आ पहुंचे। राजकुमारी मां लक्ष्मी की बड़ी भक्त थीं। उसको भी अपने पति पर आने वाली विपत्ति के बारे में पता चल गया। राजकुमारी ने चौथे दिन का इंतजार पूरी तैयारी के साथ किया। जिस रास्ते से सांप के आने की आशंका थी, उसने वहां सोने-चांदी के सिक्के और हीरे-जवाहरात आदि बिछा दिए। पूरे घर को रोशनी से जगमगा दिया गया, यानी सांप के आने के लिए कमरे में कोई रास्ता अंधेरा नहीं छोड़ा गया। इतना ही नहीं, राजकुमारी ने अपने पति को जगाए रखने के लिए उसे पहले कहानी सुनाई और फिर गीत गाने लगी।
इसी दौरान जब मृत्यु के देवता यमराज ने सांप का रूप धारण करके कमरे में प्रवेश करने की कोशिश की, तो रोशनी की वजह से उनकी आंखें चौंधिया गईं। इस कारण सांप दूसरा रास्ता खोजने लगा और रेंगते हुए उस जगह पहुंच गया, जहां सोने तथा चांदी के सिक्के रखे हुए थे। डसने का मौका न मिलता देख, विषधर भी वहीं कुंडली लगाकर बैठ गया और राजकुमारी के गाने सुनने लगा। इसी बीच सूर्य देव ने दस्तक दी यानी सुबह हो गई। यम देवता वापस जा चुके थे। इस तरह राजकुमारी ने अपनी पति को मौत के पंजे में पहुंचने से पहले ही छुड़ा लिया। यह घटना जिस दिन घटी थी, वह धनतेरस का दिन था, इसलिए इस दिन को ‘यम दीपदान’ भी कहते हैं। इसी कारण धनतेरस की पूरी रात रोशनी की जाती है।