Dhanteras Puja: धनतेरस पर इस विधि से करें भगवान धन्वतरि की पूजा, सारा साल निरोगी रहेगी आपकी काया

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 29 Oct, 2024 10:58 AM

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Dhanvantari Jayanti: देवासुर संग्राम में जब दानवों ने देवताओं को आहत कर दिया, तब देवताओं को अमृत पिलाने की इच्छा से भगवान धन्वतरि कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन समुद्र मंथन के समय अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसी कारण इस तिथि को...

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Dhanvantari Jayanti: देवासुर संग्राम में जब दानवों ने देवताओं को आहत कर दिया, तब देवताओं को अमृत पिलाने की इच्छा से भगवान धन्वतरि कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन समुद्र मंथन के समय अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसी कारण इस तिथि को धनतेरस या धन त्रयोदशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान धन्वतरि और माता लक्ष्मी के साथ-साथ धन के देवता कुबेर की पूजा भी की जाती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान धन्वतरि की पूजा करने से आरोग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन कलश आदि बर्तन खरीदने की परम्परा है, ताकि उन बर्तनों में अमृत सदा भरा रहे।

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लोक मान्यता अनुसार इस दिन धन (वस्तु)  खरीदने पर तेरह गुणा वृद्धि होती है। भगवान धन्वतरि देवताओं के चिकित्सक माने जाते हैं, इसलिए चिकित्सकों के लिए यह दिन विशेष महत्व रखता है। इस दिन सोने-चांदी का कोई भी सामान या लक्ष्मी-गणेश की तस्वीर वाले सिक्के खरीदने फलदायी माने जाते हैं। इस दिन श्रीयंत्र, चावल, झाड़ू, गोमत्री चक्र खरीदना फलदायी होता है।

जैन धर्म में इस दिन को ध्यान तेरस भी कहते हैं क्योंकि इसी दिन भगवान महावीर ध्यान में गए थे और तीन दिन बाद दीपावली के दिन निर्वाण को प्राप्त हुए थे। धनतेरस के साथ ही पांच दिवसीय दीपावली उत्सव की शुरुआत हो जाती है। पहले धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा फिर भैया दूज मनाया जाता है।  

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अच्छे जीवन, अच्छे स्वास्थ्य के लिए इस दिन भगवान विष्णु के अवतार माने जाने वाले धन्वतरि की मूर्ति या तस्वीर, लकड़ी की चौकी, धूप, मिट्टी का दीपक, रूई, कपूर, घी, फल-फूल, मेवा-मिठाई, भोग के लिए प्रसाद तथा सात धान्यों को पूजा में रखा जाता है, साथ ही गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल, मसूर।

पहले भगवान गणेश फिर भगवान धन्वतरि की पूजा करनी चाहिए। भगवान धन्वतरि जी के इस पाठ का जाप करें :
ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय, वासुदेवाए धन्वतराय:।
अमृतकलश हस्ताए सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय।
त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाए श्री महाविष्णु स्वरूप।
श्री धन्वतरि स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नम:॥


इसके पश्चात हाथ जोड़कर पूरे परिवार के अच्छे स्वास्थ्य की प्रार्थना करें।

इस दिन प्रात: प्रवेश स्थल व द्वार को धो दें और रंगोली बनाएं, वंदनवार, बिजली की झालर लगाएं। घर का कूड़ा-कर्कट, अखबारों की रद्दी, टूटा-फूटा सामान, पुरानी बंद इलैक्ट्रानिक चीजें बेच दें। जाले साफ करें। ऑफिस व घर साफ करें। अपने शरीर की सफाई करें। तेल उबटन लगाएं। चाहें तो पार्लर भी जा सकते हैं।

पुराने बर्तन बदल कर नए लें। चांदी के बर्तन या सोने के जेवर खरीदें। बाजार से नया बर्तन घर में खाली न लाएं, उसमें मिष्ठान या फल भर के लाएं। नया वाहन या घर की कोई दीर्घ समय तक इस्तेमाल की जाने वाली नई चीज लें। खील-बताशे आज ही खरीदें। धान से बनी सफेद खीलें सुख, समृद्धि व सम्पन्नता का प्रतीक हैं।

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