Edited By Prachi Sharma,Updated: 10 Nov, 2023 11:15 AM
धन की कामना को पूर्ण करने के लिए हिन्दू धर्म में मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। खासतौर पर धनतेरस और दिवाली के अवसर पर चारों तरफ बहुत ही धूमधाम के साथ इनकी
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Dhanteras Special: धन की कामना को पूर्ण करने के लिए हिन्दू धर्म में मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। खासतौर पर धनतेरस और दिवाली के अवसर पर चारों तरफ बहुत ही धूमधाम के साथ इनकी पूजा-अर्चना करने का विधान है। माना जाता है जो व्यक्ति इन दिनों मां लक्ष्मी की पूजा करता है उसे जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं देखनी पड़ती। बता दें कि इस वर्ष 2023 में 12 नवंबर रविवार के दिन दिवाली का पर्व मनाया जाएगा। इससे पहले कि आज 10 नवंबर को पूरे देश में धनतेरस का त्यौहार मनाया जा रहा है। धनतेरस के इस शुभ अवसर पर मां लक्ष्मी के भक्त उनकी पूजा करने के लिए मंदिरों में पहुंचते हैं।
वैसे तो देश-विदेश में मां के बहुत से मंदिर हैं लेकिन आज हम बात करने जा रहे हैं राजस्थान के करौली में स्थित कैला देवी मंदिर के बारे में। कहते हैं धनतेरस के मौके पर इस मंदिर के दर्शन मात्र से ही मां लक्ष्मी अपने भक्तों के भंडार भर देती हैं। तो चलिए जानते हैं इस मंदिर के बारे में।
Kaila Devi Temple कैला देवी मंदिर
कैला देवी का यह पवित्र मंदिर राजस्थान के करौली जिला से करीब 24 किमी की दूरी पर स्थित है। कैला देवी को मां लक्ष्मी के रूप में भी पूजा जाता है। वैसे तो सालभर इस मंदिर में भक्तों की भीड़ रहती है लेकिन आज के दिन खास तौर पर इस मंदिर की रौनक देखने वाली होती है। जो व्यक्ति धनतेरस के दिन इस मंदिर में दर्शन करता है वो कभी भी खाली झोली वापिस नहीं जाता है।
Story related to Kaila Devi temple कैला देवी मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा
कैला देवी मंदिर से जुड़ी कहानी बेहद ही खास और दिलचस्प है। मान्यताओं के अनुसार कैला देवी श्री कृष्ण की बहन है। श्री कृष्ण के जन्म के समय एक और कन्या का जन्म हुआ था जो आगे जाकर कैला देवी के नाम से प्रसिद्ध हुई। जब कंस उस कन्या को मारने के लिए पहुंचा तब तो कैला देवी के रूप में प्रकट हो हुई और त्रिकूट पर्वत पर विराजमान हो गई।
Mundan of children is done in this temple इस मंदिर में करवाया जाता है बच्चों का मुंडन
कैला देवी मंदिर में भक्त अपने बच्चों का पहली बार मुंडन करवाते है और मां को बाल अर्पित करते हैं। इस मंदिर को लेकर यह भी मान्यता है कि नवविवाहित जोड़ा जब तक आकर मां का आशीर्वाद नहीं ले लेता तब तक परिवार का कोई सदस्य यहां दर्शन करने नहीं आता।