Edited By Prachi Sharma,Updated: 14 Dec, 2023 08:38 AM
हिन्दू पंचांग के अनुसार हर माह सूर्य देव अपना राशि परिवर्तन करते हैं। जिस राशि में वो प्रवेश करते हैं उस राशि के नाम पर संक्रांति मनाई जाती है। हर संक्रांति का अपना
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Dhanu Sankranti: हिन्दू पंचांग के अनुसार हर माह सूर्य देव अपना राशि परिवर्तन करते हैं। जिस राशि में वो प्रवेश करते हैं उस राशि के नाम पर संक्रांति मनाई जाती है। हर संक्रांति का अपना ही एक महत्व होता है। दिसंबर माह में आने वाली संक्रांति को धनु संक्रांति कहा जाता है। इस दिन सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश कर जाएंगे। इस संक्रांति की एक खास बात यह है कि इस दिन से खरमास का आरंभ हो जाता है और अगले 1 महीने मकर संक्रांति तक मांगलिक कार्यों पर रोक लगा दी जाती हैं। हालांकि ये समय नाम-जाप, स्नान-ध्यान और मंत्र जाप के लिए बेहद ही खास और शुभ माना जाता है। तो चलिए सबसे पहले जानते हैं कि किस दिन सूर्य देव करेंगे राशि परिवर्तन।
Dhanu Sankranti 2023 Date धनु संक्रांति 2023 डेट
पंचांग के अनुसार दिसंबर माह यानि साल की आखिरी संक्रांति 16 दिसंबर 2023, शनिवार को है। सूर्य के धनु राशि में गोचर से सूर्य देव की गति स्लो हो जाती है। इसके अलावा धनु राशि के स्वामी बृहस्पति का प्रभाव भी कम होने लग जाता है। यही कारण है कि इस दौरान मांगलिक मांगलिक कार्यों पर रोक लगा दी जाती है। मकर संक्रांति के दिन खरमास का समापन होता है और सारे शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं।
Dhanu Sankranti Muhurat धनु संक्रांति 2023 मुहूर्त
पंचांग के अनुसार धनु संक्रांति पर सूर्य देव शाम 4 बजकर 09 मिनट पर वृश्चिक राशि से निकलकर धनु राशि में प्रवेश करेंगे। इस समय के दौरान
सूर्य देव के मंत्रों का जाप करने से आरोग्य प्राप्त होता है।
धनु संक्रान्ति पुण्य काल - शाम 4:09 से शाम 5:26 तक
धनु संक्रान्ति महा पुण्य काल - शाम 04:09 से शाम 05:26 तक
Dhanu Sankranti Significance धनु संक्रांति महत्व
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य देव को ग्रहों का राजा कहा जाता है। इस वजह से जिस दिन भी ये राशि परिवर्तन करते हैं उस दिन सूर्य देव की पूजा करने से मान-सम्मान में वृद्धि, बल, आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा करने से करियर में बढ़ोतरी देखने को मिलती है और राजाओं की तरह जीवन व्यतीत करने का मौका मिलता है। इसके अलावा धनु संक्रांति के दिन से पूरे एक महीने तक विवाह, मुंडन, गृह प्रेवश होते हैं।