Edited By Prachi Sharma,Updated: 16 Jul, 2024 06:39 AM
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ए.एस.आई.) ने धार जिले में स्थित भोजशाला का सर्वे पूरा कर अपनी 2000 पेज की रिपोर्ट मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बैंच को सौंप दी है। अब 22 जुलाई को इस मसले पर सुनवाई होगी।
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इंदौर (इंट): भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ए.एस.आई.) ने धार जिले में स्थित भोजशाला का सर्वे पूरा कर अपनी 2000 पेज की रिपोर्ट मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बैंच को सौंप दी है। अब 22 जुलाई को इस मसले पर सुनवाई होगी। सबसे बड़ा सवाल यह है कि 23 साल पहले लागू की गई व्यवस्था को क्या हाईकोर्ट इस रिपोर्ट के आधार पर बदल देगी ?
इधर, हिंदू पक्ष के वकील की ओर से दावा किया गया कि सर्वे के दौरान कई ऐसे साक्ष्य मिले हैं, जो साबित करते हैं कि यहां मंदिर था। धार जिले के इस 11वीं सदी में बने परिसर का विवाद नया नहीं है। हिंदू समुदाय भोजशाला को वाग्देवी (देवी सरस्वती) का मंदिर मानता है जबकि मुस्लिम पक्ष इसे कमाल मौला मस्जिद कहता है।
हिंदू फ्रंट ऑफ जस्टिस की याचिका पर हाईकोर्ट ने 11 मार्च को ए.एस.आई. को आदेश दिया था कि वह 6 हफ्ते में भोजशाला परिसर की साइंटिफिक स्टडी कर अपनी रिपोर्ट सौंपे। हालांकि, रिपोर्ट सौंपने के लिए ए.एस.आई. ने और वक्त मांगा।
धार भोजशाला विवाद क्या है?
राजा भोज (1000-1055 ई.) परमार राजवंश के सबसे बड़े शासक थे। 11वीं शताब्दी में यहां परमार वंश का राज हुआ करता था। उन्होंने धार में यूनिवर्सिटी की स्थापना की। इसे बाद में भोजशाला के रूप में जाना जाने लगा। अलाउद्दीन खिलजी ने 1305 ईस्वी में भोजशाला को नष्ट कर दिया था। 1401 ईस्वी में दिलावर खान गौरी ने भोजशाला के एक हिस्से में एक मस्जिद का निर्माण करवाया।