Edited By Jyoti,Updated: 11 Dec, 2021 10:51 AM
मध्कालीन शासकों में छत्रपति शिवाजी बहुत ही धार्मिक और चरित्रवान राजा थे। धार्मिक होने की उनकी परिभाषा का आधार था सभी धर्मों का सम्मान भाव से आदर करना। मुगल सम्राट औरंगजेब
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मध्कालीन शासकों में छत्रपति शिवाजी बहुत ही धार्मिक और चरित्रवान राजा थे। धार्मिक होने की उनकी परिभाषा का आधार था सभी धर्मों का सम्मान भाव से आदर करना। मुगल सम्राट औरंगजेब ने उनके विरुद्ध एक सशक्त अभियान छेड़ा और भारी सेना लेकर महाराष्ट्र में उनके अनेक किलों पर कब्जा करके वहां मुगल किलेदार नियुक्त कर दिए। ऐसी ही एक किला था कल्याण, जहां खुद औरंगजेब का मामा शायस्ता खान ठहरा हुआ था।
शिवाजी के गुरिल्ला सैनिकों ने कल्याण को फतह कर लिया। मुगल भागने लगे, तभी शाही परिवार की एक सुंदर नवयौवना मराठों के चंगुल में फंस गई। मराठा सरदार ने इसे अपनी सफलता समझा। सरदार ने सोचा कि इस सुंदर महिला को शिवाजी को भेंट करते छत्रपति का अनुग्रह प्राप्त किया जा सकता है। अतः वह उस सुंदरी को लेकर शिवाजी के डेरे में पहुंचा। सुंदरी की पालकी नीचे रखना कर मराठा सरदार छत्रपति के दरबार में पहुंचा। उस समय शिवाजी राजकाल में व्यस्त थे। जब उनकी व्यस्तता कुछ कम हुई तो सरदार ने उन्हें कल्याण विजय का समाचार दिया। शिवाजी अति प्रसन्न हुए। उन्हें प्रसन्न जानकर सरदार ने निवेदन किया कि "मैं आपके लिए एक विजय उपहार लाया हूं" और वह पालकी सहित उसे युवती को उनके सामने ले आया।
छत्रपति शिवाजी ने उस सुंदरी को देखकर अपनी नजरें नीची कर लीं। उन्होंने कहा कि काश मेरी माता भी इतनी सुंदर होती तो मैं भी सुंदर होता। फिर सरदार से उन्होंने कहा- इस सुंदरी को सम्मान सहित मुगल शिविर में पहुंचा दिया जाए। धार्मिक स्थलों, धर्मग्रंथों और बहू-बेटियों का अपमान करके कोई कभी महान नहीं कर सकता है।