Dharmik Katha: क्रोध की अग्नि में न खुद को जलाएं न दूसरों को

Edited By Jyoti,Updated: 03 Aug, 2021 11:32 AM

dharmik katha in hindi

सूत्र एक महान संत थे। उनके बारे में प्रसिद्ध है कि जन्म के समय ही उनके मुंह में पूरे दांत थे। इसे देखकर पंडितों ने कहा कि यह बालक माता-पिता के लिए अमंगलकारी होगा। यह सुनकर सूत्र के मां-बाप ने

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सूत्र एक महान संत थे। उनके बारे में प्रसिद्ध है कि जन्म के समय ही उनके मुंह में पूरे दांत थे। इसे देखकर पंडितों ने कहा कि यह बालक माता-पिता के लिए अमंगलकारी होगा। यह सुनकर सूत्र के मां-बाप ने उन्हें घर से निकाल दिया। सूत्र घर से निकल कर ईश्वर की साधना में लग गए। उनकी कीर्ति फैलने लगी। सभी धर्मों और समुदायों के लोग उनके अनुयायी बनने लगे। एक बार सूत्र से मिलने एक महात्मा आए। उनके साथ कई शिष्य भी थे। वे महात्मा सूत्र के प्रति ईर्ष्या भाव रखते थे।

इसे सूत्र ने भांप लिया था। महात्मा से थोड़ी देर बातचीत के बाद सूत्र ने कहा, ‘‘मुझे धुएं की गंध आ रही है। कृपया मुझे अग्रि दीजिए।’’

महात्मा ने कहा, ‘‘मेरे पास अग्रि नहीं है।’’

सूत्र ने फिर कहा, ‘‘अपनी अग्रि दे दीजिए।’’

महात्मा ने दोहराया कि उनके पास अग्रि नहीं है। इस पर बहस बढ़ने लगी। महात्मा आग बबूला हो गए। अचानक उन्होंने चिल्लाकर कहा, ‘‘मेरे सामने से हट जाओ, वरना जान से मार दूंगा।’’

सूत्र ने हंसते हुए कहा, ‘‘अरे, कितनी प्रचंड अग्रि है आपके पास और आप इसे देने से इंकार कर रहे हैं।’’ 

महात्मा को अपनी भूल का अहसास हो गया। उन्होंने सूत्र से क्षमा मांगी। -रमेश जैन

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